मदुरांतक तमिलनाडु: Difference between revisions
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
* ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 704 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार | * ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 704 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार | ||
==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 10:19, 21 March 2011
मदुरांतक नगर का प्राचीन नाम मधुरांतक और क्षेत्र का नाम बकुलारण्य है।
प्राचीन मन्दिर
कोदंडराम के अति प्राचीन मन्दिर में एक बकुल—मौलसिरी—का पेड़ है। इसी के नीचे दक्षिण के प्रसिद्ध दार्शनिक संत रामानुजाचार्य ने महापूर्णस्वामी से दीक्षा ली थी। इसी मन्दिर के साथ जानकी सीता का मन्दिर है जो यहाँ के एक तामिल-तेलगू शिलालेख के अनुसार एक अंग्रेज़ सज्जन लायनस प्लेस द्वारा 1778 में बनवाया गया था।
लेख के अनुसार
लेख में कहा गया है कि यहाँ के बड़े जलाशय का बाँध 1775 ई. से बनवाया जा रहा था किन्तु प्रत्येक वर्ष वर्षाकाल में टूट जाता था। एक वैष्णव की प्रेरणा से प्लेस ने जानकी मन्दिर बनवाने की मनौती के साथ बाँध का पुनः निर्माण करवाया और इस बार की घोर वर्षा में वह बाँध स्थिर रहा। तभी स्वयं प्लेस ने जानकी मन्दिर की स्थापना की थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 704 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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