उत्सर्जी तन्त्र: Difference between revisions

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Revision as of 09:07, 1 February 2011

(अंग्रेज़ी: Excretory System) उत्सर्जी तन्त्र अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। कशेरुकी जन्तुओं में उत्सर्जी तन्त्र एवं जनन तन्त्रों में विशेष रूप से नर में, परस्पर बहुत सम्बन्ध होता है। इसलिए इन दोनों तन्त्रों को सम्मिलित रूप से मूत्रोजनन तन्त्र कहते हैं। मनुष्य में इन दोनों तन्त्रों के प्रमुख अंगों में तो कोई सम्बन्ध नहीं होता है, किन्तु इनकी वाहिनियों में महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध होता है। मनुष्य के प्रमुख उत्सर्जी अंग एक जोड़ी वृक्क या गुर्दे होते हैं। इनसे सम्बन्धित अन्य उत्सर्जी अंग मूत्रवाहिनियाँ, मूत्राशय तथा मूत्र मार्ग हैं। ये सभी उत्सर्जी अंग मिलकर उत्सर्जी तन्त्र का निर्माण करते हैं।

वृक्क

वृक्क मनुष्य का एक उत्सर्जी तन्त्र है। इन्हें गुर्दे भी कहा जाता है। मनुष्य में एक जोड़ी वृक्क होते हैं, जो उदर गुहा के पृष्ठभाग में डायाफ्राम मे नीचे व कशेरुक दण्ड के इधर–उधर (दाएँ–बाएँ) स्थित होते हैं। दाहिनी ओर यकृत की उपस्थिति के कारण दाहिना वृक्क बाएँ वृक्क से कुछ आगे स्थित होता है। दोनों वृक्क एक पतली पेरिटोनियम झिल्ली द्वारा उदरगुहा की पृष्ठ दीवार से लगे हुए होते हैं और वसीय ऊतक के अन्दर भी धँसे होते हैं।


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