डाक सूचक संख्या: Difference between revisions

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'''डाक सूचक संख्या / पिन कोड''' <br />
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हम सबका सामना कभी न कभी चिट्ठियों से जरूर होता है। इन चिट्ठियों में चाहे वे पोस्टकार्ड हों, लिफाफे या अंतर्देशीय पत्र, एक पता लिखने का स्थान तय होता है। इस स्थान में सबसे नीचे छह खाने बने होते हैं, जिस पर '''डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर या पिन नंबर (Postal Index Number or PIN or Pincode)''' लिखा जाता है। पिन कोड लिखने से पत्र को सही स्थान पर पहुँचाने में मदद मिलती है। पिन नंबर एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से किसी स्थान विशेष को एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। [[भारत]] में पिन कोड में 6 अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है।  
हम सबका सामना कभी न कभी चिट्ठियों से जरूर होता है। इन चिट्ठियों में चाहे वे पोस्टकार्ड हों, लिफाफे या अंतर्देशीय पत्र, एक पता लिखने का स्थान तय होता है। इस स्थान में सबसे नीचे छह खाने बने होते हैं, जिस पर '''डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर या पिन नंबर (Postal Index Number or PIN or Pincode)''' लिखा जाता है। पिन कोड लिखने से पत्र को सही स्थान पर पहुँचाने में मदद मिलती है।<ref name="ddl"></ref>
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*पिन नंबर एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से किसी स्थान विशेष को एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। [[भारत]] में पिन कोड में 6 अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है।<ref name="ddl">{{cite web |url=http://dakbabu.blogspot.com/2009/03/blog-post.html |title=क्या है पिन कोड ?? |accessmonthday=7 फ़रवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=डाकिया डाक लाया |language=हिन्दी}}</ref>  
*दरअसल, हमारा देश अति विशाल है। यहाँ लाखों गाँव व कस्बे हैं। यहाँ एक ही नाम वाले दो या इससे भी अधिक स्थान हो सकते हैं। जैसे - [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]] [[महाराष्ट्र]] में है और [[बिहार]] में भी। [[जयपुर]] एक शहर भी है और एक गाँव भी। ऐसी स्थिति में डाक विभाग को चिट्ठी सही जगह और समय से पहुँचाने में बड़ी परेशानी होती थी। इससे बचने के लिए भारतीय डाक विभाग ने पिन कोड की व्यवस्था स्वतन्त्रता की 25वीं वर्षगाँठ पर [[15 अगस्त]], [[1972]] से शुरू की गई, जिससे डाक सेवा तीव्र हो सके। <ref name="ddl"></ref>
*इस व्यवस्था के अंतर्गत देश को कुल 9 मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया। फिर इसके उपक्षेत्र बनाए गए। अंत में डाक बांटने वाले डाकघरों को भी एक कोड द्वारा निर्धारित किया गया। इस व्यवस्था में 6 अंकों के पिनकोड का पहला अंक भारत देश के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों मे से किसी एक डाक वृत को दर्शाते हैं। पहले 3 अंक मिलकर छंटाई / राजस्व ज़िले (सार्टिंग यूनिट) को दर्शाते हैं जबकि अंतिम 3 अंक सुपुर्दगी (वितरण) करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांख्यिक कूट भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार डाक को छांटने का कार्य अत्यन्त सरल बना देते हैं।<ref name="ddl"></ref>
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Revision as of 12:22, 7 February 2011

भारत देश में उपक्षेत्रों का वितरण|thumb|300px डाक सूचक संख्या / पिन कोड
हम सबका सामना कभी न कभी चिट्ठियों से जरूर होता है। इन चिट्ठियों में चाहे वे पोस्टकार्ड हों, लिफाफे या अंतर्देशीय पत्र, एक पता लिखने का स्थान तय होता है। इस स्थान में सबसे नीचे छह खाने बने होते हैं, जिस पर डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर या पिन नंबर (Postal Index Number or PIN or Pincode) लिखा जाता है। पिन कोड लिखने से पत्र को सही स्थान पर पहुँचाने में मदद मिलती है।[1]

  • पिन नंबर एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से किसी स्थान विशेष को एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। भारत में पिन कोड में 6 अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है।[1]
  • दरअसल, हमारा देश अति विशाल है। यहाँ लाखों गाँव व कस्बे हैं। यहाँ एक ही नाम वाले दो या इससे भी अधिक स्थान हो सकते हैं। जैसे - औरंगाबाद महाराष्ट्र में है और बिहार में भी। जयपुर एक शहर भी है और एक गाँव भी। ऐसी स्थिति में डाक विभाग को चिट्ठी सही जगह और समय से पहुँचाने में बड़ी परेशानी होती थी। इससे बचने के लिए भारतीय डाक विभाग ने पिन कोड की व्यवस्था स्वतन्त्रता की 25वीं वर्षगाँठ पर 15 अगस्त, 1972 से शुरू की गई, जिससे डाक सेवा तीव्र हो सके। [1]
  • इस व्यवस्था के अंतर्गत देश को कुल 9 मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया। फिर इसके उपक्षेत्र बनाए गए। अंत में डाक बांटने वाले डाकघरों को भी एक कोड द्वारा निर्धारित किया गया। इस व्यवस्था में 6 अंकों के पिनकोड का पहला अंक भारत देश के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों मे से किसी एक डाक वृत को दर्शाते हैं। पहले 3 अंक मिलकर छंटाई / राजस्व ज़िले (सार्टिंग यूनिट) को दर्शाते हैं जबकि अंतिम 3 अंक सुपुर्दगी (वितरण) करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांख्यिक कूट भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार डाक को छांटने का कार्य अत्यन्त सरल बना देते हैं।[1]
भारत देश में 9 मुख्य क्षेत्रों का वितरण[1]
पिनकोड क्रमांक भारत देश में क्षेत्र
पिनकोड 1 दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़
पिनकोड 2 उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
पिनकोड 3 राजस्थान, गुजरात, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली
पिनकोड 4 छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा
पिनकोड 5 आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यनम (पुदुचेरी का एक ज़िला)
पिनकोड 6 केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी (यनम ज़िले के अलावा), लक्षद्वीप
पिनकोड 7 पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
पिनकोड 8 बिहार, झारखण्ड
पिनकोड 9 सैन्य डाकखाना (एपीओ) और क्षेत्र डाकखाना (एफपीओ)
भारत देश में उपक्षेत्रों का वितरण
पिन के शुरुआती 2 अंक भारत देश में उपक्षेत्र
11 दिल्ली
12 और 13 हरियाणा
14 से 16 पंजाब
17 हिमाचल प्रदेश
18 से 19 जम्मू और कश्मीर
20 से 28 उत्तर प्रदेश
30 से 34 राजस्थान
36 से 39 गुजरात
40 से 44 महाराष्ट्र
45 से 49 मध्य प्रदेश
50 से 53 आंध्र प्रदेश
56 से 59 कर्नाटक
60 से 64 तमिलनाडु
67 से 69 केरल
70 से 74 पश्चिम बंगाल
75 से 77 उड़ीसा
78 असम
79 पूर्वोत्तर भारत
80 से 85 बिहार और झारखण्ड


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आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 क्या है पिन कोड ?? (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) डाकिया डाक लाया। अभिगमन तिथि: 7 फ़रवरी, 2011।