कीर्तिवर्मा प्रथम: Difference between revisions

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*[[पुलकेशी प्रथम]] के बाद उसका पुत्र कीर्तिवर्मा 567 ई. के लगभग [[वातापी कर्नाटक|वातापी]] के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
*'''कीर्तिवर्मा प्रथम''', [[पुलकेशी प्रथम]] का पुत्र था।
*अपने पिता के समान वह भी प्रतापी और विजेता था।  
*यह लगभग 566-67 ई. में सिंहासन पर बैठा और [[चालुक्य वंश|चालुक्य]] राजा बना।
*एक उत्कीर्ण लेख के अनुसार उसने मौर्यों, कदम्बों और नलों को परास्त किया, और मगध, बंग, चोल तथा पांड्य देशों में विजय यात्राएँ कीं।
*कीर्तिवर्मा अपने पिता के समान प्रतापी और विजेता था।
*[[कदम्ब वंश]] का शासन वातापी के दक्षिण-पूर्व में था, और सम्भवतः मौर्य और नल वंशों के छोटे-छोटे राज्य भी दक्षिणापथ में विद्यमान थे।  
*अभिलेखों में उसे [[मगध]], [[अंग]], बंग, [[कलिंग]], मुद्रक, [[गंग वंश|गंग]], मषक, [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्य]], [[चोल वंश|चोल]], द्रमिक, [[मौर्य वंश|मौर्य]], नल, [[कदम्ब वंश|कदम्ब]] आदि राज्यों का विजेता कहा गया है।
*मगध, बंग, चोल और पांड्य देशों में विजय यात्रा करने का यह अभिप्राय है, कि इस युग के अन्य अनेक महत्वाकांक्षी राजाओं के समान चालुक्यवंशी कीर्तिवर्मा ने भी अनेक राज्यों को अपना अधिपति मानने के लिए विवश किया था।
*[[कदम्ब वंश]] का शासन वातापी के दक्षिण-पूर्व में था, और सम्भवतः मौर्य और नल वंशों के छोटे-छोटे राज्य भी दक्षिणापथ में विद्यमान थे।
*उसने सम्भवतः बनवासी के कदम्बों, वेलारी, कार्नूल एवं कोंकण के [[मौर्य वंश|मौर्यों]] को युद्ध में हराया।
*'महाकूट स्तम्भ' लेख से प्रमाणित होता है कि, उसने 'बहुसुवर्ण' एवं 'अग्निस्टोम' [[यज्ञ]] को सम्पन्न करवाया था।
*[[कीर्तिवर्मा प्रथम]] ने पुरुरण पराक्रम, पृथ्वी वल्लभ एवं सत्याश्रय की उपाधि धारण की थी।
*कीर्तिवर्मा प्रथम की मुत्यु (598 ई. के लगभग) के समय उसका भाई मंगलेश अगला चालुक्य शासक बना, चूंकि इसके पुत्र अल्पव्यस्क थे।


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Revision as of 13:41, 14 February 2011

  • कीर्तिवर्मा प्रथम, पुलकेशी प्रथम का पुत्र था।
  • यह लगभग 566-67 ई. में सिंहासन पर बैठा और चालुक्य राजा बना।
  • कीर्तिवर्मा अपने पिता के समान प्रतापी और विजेता था।
  • अभिलेखों में उसे मगध, अंग, बंग, कलिंग, मुद्रक, गंग, मषक, पाण्ड्य, चोल, द्रमिक, मौर्य, नल, कदम्ब आदि राज्यों का विजेता कहा गया है।
  • कदम्ब वंश का शासन वातापी के दक्षिण-पूर्व में था, और सम्भवतः मौर्य और नल वंशों के छोटे-छोटे राज्य भी दक्षिणापथ में विद्यमान थे।
  • उसने सम्भवतः बनवासी के कदम्बों, वेलारी, कार्नूल एवं कोंकण के मौर्यों को युद्ध में हराया।
  • 'महाकूट स्तम्भ' लेख से प्रमाणित होता है कि, उसने 'बहुसुवर्ण' एवं 'अग्निस्टोम' यज्ञ को सम्पन्न करवाया था।
  • कीर्तिवर्मा प्रथम ने पुरुरण पराक्रम, पृथ्वी वल्लभ एवं सत्याश्रय की उपाधि धारण की थी।
  • कीर्तिवर्मा प्रथम की मुत्यु (598 ई. के लगभग) के समय उसका भाई मंगलेश अगला चालुक्य शासक बना, चूंकि इसके पुत्र अल्पव्यस्क थे।


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