मिलन (खण्डकाव्य): Difference between revisions

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*1953 तक हिंदी मंदिर, [[प्रयाग]] से इसके नौ संस्करण निकल चुके थे।  
*1953 तक हिंदी मंदिर, [[प्रयाग]] से इसके नौ संस्करण निकल चुके थे।  
*मिलन एक प्रेमाख्यानक खंडकाव्य है, जिसमें कवि द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म कथातंतु के माध्यम से दाम्पत्य जीवन, प्रकृति तथा देश भक्ति की भावनाओं का बड़ा सरस वर्णन किया गया है।
*मिलन एक प्रेमाख्यानक खंडकाव्य है, जिसमें कवि द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म कथातंतु के माध्यम से दाम्पत्य जीवन, प्रकृति तथा देश भक्ति की भावनाओं का बड़ा सरस वर्णन किया गया है।

Revision as of 14:12, 6 March 2012

हिंदी साहित्य के साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी कृत मिलन खण्डकाव्य सन् 1917 ई. में प्रकाशित हुई।

  • 1953 तक हिंदी मंदिर, प्रयाग से इसके नौ संस्करण निकल चुके थे।
  • मिलन एक प्रेमाख्यानक खंडकाव्य है, जिसमें कवि द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म कथातंतु के माध्यम से दाम्पत्य जीवन, प्रकृति तथा देश भक्ति की भावनाओं का बड़ा सरस वर्णन किया गया है।
  • इसकी भाषा सरस, प्रवाहपूर्ण खड़ीबोली है तथा कविता की दृष्टि से इसमें स्वच्छंदतावादी प्रवृत्तियों का समावेश हुआ है।
  • खड़ीबोली के काव्यात्मक विकास के लिए रामनरेश त्रिपाठी की यह प्रारम्भिक कृति अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 446।

बाहरी कड़ियाँ

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