छलितक योग कला: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:21, 13 October 2011
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग हनुमान जी ने श्रीरामचन्द्रजी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।