अहमदिया आन्दोलन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:स्वतन्त्रता संग्राम 1857 (को हटा दिया गया हैं।)) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अहमदिया आन्दोलन''' की स्थापना वर्ष 1889 ई. में की गई थी। इसकी स्थापना [[गुरदासपुर]] ([[पंजाब]]) के 'कादिया' नामक स्थान पर की गई। | |||
*इसका मुख्य उद्देश्य [[मुसलमान|मुसलमानों]] में [[इस्लाम धर्म]] के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था। | *इसका मुख्य उद्देश्य [[मुसलमान|मुसलमानों]] में [[इस्लाम धर्म]] के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था। | ||
*अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा गुलाम अहमद' (1838-1908 ई.) द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में की गई थी। | *अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा गुलाम अहमद' (1838-1908 ई.) द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में की गई थी। | ||
Line 9: | Line 8: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन}} | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:स्वतन्त्रता संग्राम 1857]] | [[Category:स्वतन्त्रता संग्राम 1857]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 08:04, 2 April 2012
अहमदिया आन्दोलन की स्थापना वर्ष 1889 ई. में की गई थी। इसकी स्थापना गुरदासपुर (पंजाब) के 'कादिया' नामक स्थान पर की गई।
- इसका मुख्य उद्देश्य मुसलमानों में इस्लाम धर्म के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था।
- अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा गुलाम अहमद' (1838-1908 ई.) द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में की गई थी।
- इन्हीं के नाम 'अहमद' पर इसका का नाम 'अहमदिया आन्दोलन' पड़ा।
- मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने स्वयं को श्रीकृष्ण का अवतार भी मानना शुरू कर दिया था।
- इन्हीं कारणों से इस आन्दोलन को शास्त्र के प्रतिकूल एवं दिगभ्रमित माना गया।
- मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक ‘बराहीन-ए-अहमदिया’ में अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की है।
|
|
|
|
|