सी. डी. देशमुख: Difference between revisions
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चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख का जन्म [[महाराष्ट्र]] के रामगढ़ ज़िले में [[14 जनवरी]], [[1896]] ई. को हुआ। [[लंदन]] से आई.सी.एस. (भारतीय सिविल सेवा) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे भारत में विभिन्न पदों पर काम करते रहे। उन्होंने भारत की ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वर्षों तक विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के गवर्नर के रूप में भी काम किया। | चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख का जन्म [[महाराष्ट्र]] के रामगढ़ ज़िले में [[14 जनवरी]], [[1896]] ई. को हुआ। [[लंदन]] से आई.सी.एस. (भारतीय सिविल सेवा) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे भारत में विभिन्न पदों पर काम करते रहे। उन्होंने भारत की ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वर्षों तक 'विश्व बैंक' और 'अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' के गवर्नर के रूप में भी काम किया। | ||
1949 ई. में आई.सी.एस. से सेवानिवृत्त होने के बाद वे संसद के सदस्य और योजना आयोग के सदस्य बनाये गए। 1950 में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में [[नेहरू जी]] के मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। महाराष्ट्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन के समय देशमुख ने वित्त मंत्री का पद तो त्याग दिया, किंतु उनको अन्य महत्त्वपूर्ण पद मिलते गए। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने और [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति बनाये गए। 57 वर्ष की उम्र में उन्होंने 43 वर्ष की सामाजिक कार्यकर्ता और [[लोकसभा]] की सदस्य [[दुर्गाबाई देशमुख|दुर्गा बाई]] से विवाह किया था। उनकी पहली विदेशी पत्नी का वर्षों पहले ही निधन हो चुका था। देशमुख को 1975 में [[राष्ट्रपति]] ने [[पद्म विभूषण]] के अलंकरण से सम्मानित किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। | [[1949]] ई. में आई.सी.एस. से सेवानिवृत्त होने के बाद वे [[संसद]] के सदस्य और 'योजना आयोग' के सदस्य बनाये गए। [[1950]] में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में [[नेहरू जी]] के मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। महाराष्ट्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन के समय देशमुख ने वित्त मंत्री का पद तो त्याग दिया, किंतु उनको अन्य महत्त्वपूर्ण पद मिलते गए। वे [[विश्वविद्यालय अनुदान आयोग]] के अध्यक्ष बने और [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति बनाये गए। [[1952]] में 57 वर्ष की उम्र में उन्होंने 43 वर्ष की सामाजिक कार्यकर्ता और [[लोकसभा]] की सदस्य [[दुर्गाबाई देशमुख|दुर्गा बाई]] से विवाह किया था। उनकी पहली विदेशी पत्नी का वर्षों पहले ही निधन हो चुका था। देशमुख को [[1975]] में [[राष्ट्रपति]] ने [[पद्म विभूषण]] के अलंकरण से सम्मानित किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। | ||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
* [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस (1957) की उपाधि मिली। | * [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] द्वारा 'डॉक्टर ऑफ़ साइंस' ([[1957]]) की उपाधि मिली। | ||
* सन 1959 में [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]] से सम्मानित हुए। | * सन [[1959]] में [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]] से सम्मानित हुए। | ||
* सन 1975 में भारत सरकार द्वारा [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया। | * सन 1975 में भारत सरकार द्वारा [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया। | ||
==निधन== | ==निधन== |
Revision as of 07:02, 18 September 2012
चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख (अंग्रेज़ी: Chintamani Dwarakanath Deshmukh, जन्म: 14 जनवरी 1896 – मृत्यु: 2 अक्टूबर 1982) ब्रिटिश शासन के अधीन आई.सी.एस. अधिकारी और स्वतंत्रता के बाद भारत के तीसरे वित्त मंत्री थे।
जीवन परिचय
चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख का जन्म महाराष्ट्र के रामगढ़ ज़िले में 14 जनवरी, 1896 ई. को हुआ। लंदन से आई.सी.एस. (भारतीय सिविल सेवा) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे भारत में विभिन्न पदों पर काम करते रहे। उन्होंने भारत की ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वर्षों तक 'विश्व बैंक' और 'अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' के गवर्नर के रूप में भी काम किया। 1949 ई. में आई.सी.एस. से सेवानिवृत्त होने के बाद वे संसद के सदस्य और 'योजना आयोग' के सदस्य बनाये गए। 1950 में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में नेहरू जी के मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया। महाराष्ट्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन के समय देशमुख ने वित्त मंत्री का पद तो त्याग दिया, किंतु उनको अन्य महत्त्वपूर्ण पद मिलते गए। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने और दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति बनाये गए। 1952 में 57 वर्ष की उम्र में उन्होंने 43 वर्ष की सामाजिक कार्यकर्ता और लोकसभा की सदस्य दुर्गा बाई से विवाह किया था। उनकी पहली विदेशी पत्नी का वर्षों पहले ही निधन हो चुका था। देशमुख को 1975 में राष्ट्रपति ने पद्म विभूषण के अलंकरण से सम्मानित किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं।
सम्मान और पुरस्कार
- कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा 'डॉक्टर ऑफ़ साइंस' (1957) की उपाधि मिली।
- सन 1959 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हुए।
- सन 1975 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
निधन
डॉ. चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख का निधन 2 अक्टूबर, 1982 को हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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