शनिदेव मंदिर, प्रतापगढ़: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "बाजार" to "बाज़ार")
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Shani Dev Temple Pratapgarh Belha.JPG|thumb|300px|शनि देव मंदिर,प्रतापगढ़]]
[[चित्र:Shani Dev Temple Pratapgarh Belha.JPG|thumb|300px|शनि देव मंदिर,प्रतापगढ़]]
[[भारत]] के प्रमुख [[शनि]] मंदिरों में से एक शनि मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ जिले]] के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में [[शनि|भगवान शनि]] का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं। प्रत्येक [[शनिवार]] भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।  
[[भारत]] के प्रमुख [[शनि]] मंदिरों में से एक शनि मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ जिले]] के विश्वनाथगंज बाज़ार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में [[शनि|भगवान शनि]] का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं। प्रत्येक [[शनिवार]] भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।  


==स्थिति==  
==स्थिति==  

Revision as of 10:17, 14 May 2013

thumb|300px|शनि देव मंदिर,प्रतापगढ़ भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाज़ार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं। प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

स्थिति

शनि धाम एक श्री यंत्र की तरह है - दक्षिण की तरफ प्रयाग, उत्तर की तरफ अयोध्या, पूर्व में काशी और पश्चिम में तीर्थ गंगा स्वर्गलोक कड़े मानिकपुर (कड़े माँ शीतला सिद्धपीठ मंदिर) हैं।

इतिहास

इस मन्दिर के संदर्भ में अनेक महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं जो इसके चमत्कारों की गाथा और इसके प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा को दर्शाते हैं। मंदिर के विषय में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं जिसमें से एक मान्यता अनुसार कहा जाता है की शनि भगवान कि प्रतिमा स्वयंभू है, जो कि कुश्फारा के जंगल में एक ऊँचे टीले पर गड़ा पाया गया था। मंदिर के महंथ स्वामी परमा महाराज ने शनि कि प्रतिमा खोज कर मंदिर का निर्माण कराया।

मेला

बकुलाही नदी के तीरे ऊंचे टीले पर विराजे शनिदेव के दरबार के दर्शन के लिए प्रत्येक शनिवार श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर शनिवार को मंदिर प्रांगन में भव्य मेला का आयोजन होता है। प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। शनिवार के हर मेले में भारी संख्या में भक्त दर्जन पूजन करते हैं।

वार्षिकोत्सव

अखंड राम नाम जप का हर साल मन्दिर पर वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर अन्नपूर्णा का भंडारा होता है। सुबह से भंडारा शुरू होता है और रात तक चलता रहता है। आयोजन के लिए मन्दिर को सजाया गया है और शनि प्रतिमा की फूलों से विशेष सजाया जाता है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख