संविधान संशोधन- 76वाँ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "जरूर" to "ज़रूर") |
||
Line 37: | Line 37: | ||
*तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों (शिक्षा संस्थाओं में स्थान और राज्य के अधीन नौकरियाँ या पद सुरक्षित करना) विधेयक 1993 पारित कर, इसे संविधान के अनुच्छेद 31सी की व्यवस्थाओं के अनुसार भारत के [[राष्ट्रपति]] के विचारार्थ भारत सरकार के पास भेजा। | *तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों (शिक्षा संस्थाओं में स्थान और राज्य के अधीन नौकरियाँ या पद सुरक्षित करना) विधेयक 1993 पारित कर, इसे संविधान के अनुच्छेद 31सी की व्यवस्थाओं के अनुसार भारत के [[राष्ट्रपति]] के विचारार्थ भारत सरकार के पास भेजा। | ||
*भारत सरकार ने राज्य सरकार के इस क़ानून की व्यवस्थाओं का अनुमोदन किया और राष्ट्रपति ने तमिलनाडु के इस विधेयक को स्वीकृति दे दी। | *भारत सरकार ने राज्य सरकार के इस क़ानून की व्यवस्थाओं का अनुमोदन किया और राष्ट्रपति ने तमिलनाडु के इस विधेयक को स्वीकृति दे दी। | ||
*इस निश्चय के परिणास्वरूप यह | *इस निश्चय के परिणास्वरूप यह ज़रूरी था कि 1994 के तमिलनाडु क़ानून, 45 को संविधान की नौवीं अनुसूची की परिधि में लाया जाए, ताकि संविधान के अनुच्छेद 31 बी के अधीन न्यायालयों द्वारा विचार न कर सकने के बारे में इस क़ानून को संरक्षण मिल सके। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 10:45, 2 January 2018
संविधान संशोधन- 76वाँ
| |
विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
76वाँ संशोधन | 1994 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (76वाँ संशोधन) अधिनियम, 1994
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए शिक्षा संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में स्थान सुरक्षित करने की नीति का लंबा इतिहास 1921 में तमिलनाडु से शुरू हुआ था।
- राज्य सरकार अधिकांश लोगों की आवश्यकता के अनुरूप सुरक्षित स्थानों की संख्या समय-समय पर बढ़ती रही।
- अब सुरक्षित स्थानों की संख्या बढ़कर 69 प्रतिशत हो गई है-18 प्रतिशत अनुसूचित जातियाँ, एक प्रतिशत अनुसूचित जनजातियाँ और 50 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग।
- उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य (ए आई आर 1993 एस सी 477) में 16 नवम्बर 1992 को फैसला दिया कि अनुच्छेद 16(4) के अधीन कुल सुरक्षित स्थानों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों (शिक्षा संस्थाओं में स्थान और राज्य के अधीन नौकरियाँ या पद सुरक्षित करना) विधेयक 1993 पारित कर, इसे संविधान के अनुच्छेद 31सी की व्यवस्थाओं के अनुसार भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ भारत सरकार के पास भेजा।
- भारत सरकार ने राज्य सरकार के इस क़ानून की व्यवस्थाओं का अनुमोदन किया और राष्ट्रपति ने तमिलनाडु के इस विधेयक को स्वीकृति दे दी।
- इस निश्चय के परिणास्वरूप यह ज़रूरी था कि 1994 के तमिलनाडु क़ानून, 45 को संविधान की नौवीं अनुसूची की परिधि में लाया जाए, ताकि संविधान के अनुच्छेद 31 बी के अधीन न्यायालयों द्वारा विचार न कर सकने के बारे में इस क़ानून को संरक्षण मिल सके।
|
|
|
|
|