गिरजाघर: Difference between revisions

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Latest revision as of 13:40, 21 March 2014

[[चित्र:Mae-De-Deus-Church-Saligao-Goa.jpg|thumb|250px|मॅई डे डियूज चर्च, सालगांव, गोवा]] गिरजाघर या चर्च उन भवनों को कहते है जिसमें ईसाई मिलकर उपासना करते हैं। लंबाई के एक छोर पर प्रवेशद्वार और दूसरे छोर पर वेदी होती है। अधिकांश गिरजाघरों में पार्श्वभागों में कई और वेदियाँ होती हैं। काथलिक गिरजों में मूर्तियाँ तथा पाप स्वीकार करने के लिए पीठिकाएँ (कन्फेशनल्स) भी रखी रहती हैं और प्रवेशद्वार के पास आशिष्‌ का जल रखा जाता है, जिसमें उँगलियाँ डुबोकर भक्तगण अपने उपर क्रूस का चिह्न बनाते हैं।

प्रवेशद्वार

गिरजाघर में अनिवार्य रूप से कठघरे के पास प्रवचन मंच होता है और प्रवेशद्वार के निकट बपतिस्मा कक्ष जिसमें एक कुंड बना होता है। वहाँ बच्चों तथा दीक्षार्थियों को बपतिस्मा (दीक्षास्नान) दिया जाता है। प्रवेशद्वार के ऊपर अथवा पार्श्व भाग में एक छज्जे पर वाद्यराज (आर्गन) रहता है। उपासना के समय गायक मंडली वहाँ एकत्र हो जाती है। गिरजाघर के घंटे एक बुर्ज में लटकाए जाते हैं।

चित्र:Blockquote-open.gif गिरजों में घुसते ही बाहर की अशान्ति भूल जाती है। लोगों का व्यवहार बदल जाता है। लोग अदब से पेश आते हैं। वहाँ कोलाहल नहीं होता। कुमारी मरियम की मूर्ति के सम्मुख कोई न कोई प्रार्थना करता ही रहता है। यह सब वहम नहीं है, बल्कि हृदय की भावना है, ऐसा प्रभाव मुझ पर पड़ा था और बढ़ता ही गया है। कुमारिका की मूर्ति के सम्मुख घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करने वाले उपासक संगमरमर के पत्थर को नहीं पूजते थे, बल्कि उसमें मानी हुई अपनी कल्पित शक्ति को पूजते थे। ऐसा करके वे ईश्वर की महिमा को घटाते नहीं बल्कि बढ़ाते थे।[1] चित्र:Blockquote-close.gif

वेदी

वेदी गिरजाघर का प्रधान अंग है। वह पत्थर की मेज होती है जिस पर ईसाई चढ़ावा चढ़ाया जाता है। वेदी पर बीच में ईसा मसीह की मूर्ति और उसके अगल बगल बत्तीदान रहते हैं। वेदी के मध्य में प्राय: एक पात्र (टेबनेंक्‌ल) होता है जिसमें प्रसाद रखा रहता है। प्रसाद के आदर में वेदी के पास अखंड दीप जलता है। वेदी से कुछ दूरी पर बने एक कठघरे द्वारा गिरजाघर दो भागों में विभक्त होता है। वेदी के आसपास का भाग गर्भगृह (सैंक्चुअरी) कहलाता है। जनसाधारण उपासना के समय कठघरे के पास जाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। गर्भगृह में पुरोहित वर्ग के लिए आसन होते हैं और मंदिर के इस भाग से लगा हुआ एक वस्त्रालय (सैक्रिस्ती) होती है, जिसमें पूजा के कपड़े, पुस्तकें आदि रखी जाती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महात्मा गांधी जीवनी सत्य के प्रयोग से संग्रहित

बाहरी कड़ियाँ

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