करौली: Difference between revisions
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==विशेषताएँ== | ==विशेषताएँ== | ||
* करौली | * करौली क़स्बा चारों तरफ से लाल पत्थर से निर्मित है, जिसकी परिधि 3.7 किमी है जिसमें 6 दरवाज़े 12 खिड़किया है। | ||
* महाराज गोपालसिंह के समय का एक ख़ूबसूरत महल है जिसके रंगमहल एवं दीवाने आम को शीशाओं से बड़ी ख़ूबसूरती से बनाया गया है। | * महाराज गोपालसिंह के समय का एक ख़ूबसूरत महल है जिसके रंगमहल एवं दीवाने आम को शीशाओं से बड़ी ख़ूबसूरती से बनाया गया है। | ||
* करौली में काफ़ी संख्या में मन्दिर है जिसमें प्रमुख मन्दिर मदनमोहन जी का है। यह मन्दिर बरामदे एवं सुसज्जित चित्रकारी से निर्मित है तथा महाराजा गोपालसिंह जी के द्वारा जयपुर से लायी गयी। | * करौली में काफ़ी संख्या में मन्दिर है जिसमें प्रमुख मन्दिर मदनमोहन जी का है। यह मन्दिर बरामदे एवं सुसज्जित चित्रकारी से निर्मित है तथा महाराजा गोपालसिंह जी के द्वारा जयपुर से लायी गयी। |
Revision as of 14:09, 6 April 2015
thumb|250px|शाही कुंड, करौली करौली उत्तर भारत के राजस्थान राज्य का प्रमुख नगर और करौली ज़िले का मुख्यालय है जो पूर्व में करौली राज्य की राजधानी था। करौली कस्बे की स्थापना 1348 में यादववंश के राजा अजनपाल ने की थी। इसका मूलत: नाम कल्याणपुरी था जो कल्याणजी के मन्दिर के कारण प्रसिद्व था। इसको भद्रावती नदी के किनारे होने के कारण भद्रावती नगरी भी कहा जाता था।
विशेषताएँ
- करौली क़स्बा चारों तरफ से लाल पत्थर से निर्मित है, जिसकी परिधि 3.7 किमी है जिसमें 6 दरवाज़े 12 खिड़किया है।
- महाराज गोपालसिंह के समय का एक ख़ूबसूरत महल है जिसके रंगमहल एवं दीवाने आम को शीशाओं से बड़ी ख़ूबसूरती से बनाया गया है।
- करौली में काफ़ी संख्या में मन्दिर है जिसमें प्रमुख मन्दिर मदनमोहन जी का है। यह मन्दिर बरामदे एवं सुसज्जित चित्रकारी से निर्मित है तथा महाराजा गोपालसिंह जी के द्वारा जयपुर से लायी गयी।
- काले मार्बल से निर्मित मदनमोहनजी की मूर्ति है। प्रत्येक अमावस्या को मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग दर्शनार्थ आते हैं।
- करौली मे जैन मन्दिर, जामा मस्जिद, ईदगाह, अंजनी माता मन्दिर, गोविन्द देव जी मन्दिर आदि भी धार्मिक आस्था के स्थान है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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