कृपालु महाराज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
Line 41: Line 41:
'''जगदगुरु कृपालु महाराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kripalu Maharaj'', वास्तविक नाम: ''राम कृपालु त्रिपाठी'', जन्म:[[6 अक्टूबर]], [[1922]] - मृत्यु: [[15 नवंबर]], [[2013]]) एक आधुनिक [[संत]] एवं आध्यात्मिक गुरु थे। कृपालु महाराज का जन्म [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ जिले]] की कुंडा तहसील के मनगढ़ गांव में 6 अक्टूबर, 1922 को हुआ था। [[उत्तर प्रदेश]] के प्रतापगढ़ के मनगढ स्थित सुप्रसिद्ध [[भक्ति धाम]] तथा [[मथुरा|मथुरा जिला]] के [[वृन्दावन]] स्थित [[प्रेम मंदिर]] का निर्माण कृपालु महाराज ने करवाया था। इनकी आध्यात्मिक शिक्षा [[बनारस]] में हुई।  
'''जगदगुरु कृपालु महाराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kripalu Maharaj'', वास्तविक नाम: ''राम कृपालु त्रिपाठी'', जन्म:[[6 अक्टूबर]], [[1922]] - मृत्यु: [[15 नवंबर]], [[2013]]) एक आधुनिक [[संत]] एवं आध्यात्मिक गुरु थे। कृपालु महाराज का जन्म [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ जिले]] की कुंडा तहसील के मनगढ़ गांव में 6 अक्टूबर, 1922 को हुआ था। [[उत्तर प्रदेश]] के प्रतापगढ़ के मनगढ स्थित सुप्रसिद्ध [[भक्ति धाम]] तथा [[मथुरा|मथुरा जिला]] के [[वृन्दावन]] स्थित [[प्रेम मंदिर]] का निर्माण कृपालु महाराज ने करवाया था। इनकी आध्यात्मिक शिक्षा [[बनारस]] में हुई।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
अपनी ननिहाल मनगढ़ में जन्मे राम कृपालु त्रिपाठी ने गाँव के ही मिडिल स्कूल से 7वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये महू, [[मध्य प्रदेश]] चले गये। अपने ननिहाल में ही पत्नी पद्मा के साथ गृहस्थ जीवन की शुरुआत की और [[राधा]]-[[कृष्ण]] की भक्ति में तल्लीन हो गये। भक्ति-योग पर आधारित उनके प्रवचन सुनने भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचने लगे। फिर तो उनकी ख्याति देश के अलावा विदेश तक जा पहुँची। उनके परिवार में दो बेटे घनश्याम व बालकृष्ण त्रिपाठी हैं। इसके अलावा तीन बेटियाँ भी हैं - विशाखा, श्यामा व कृष्णा त्रिपाठी। उन्होंने अपने दोनों बेटों की शादी कर दी जो इस समय [[दिल्ली]] में रहकर उनके ट्रस्ट का सारा कामकाज खुद सम्हालते हैं। जबकि उनकी तीनों बेटियों ने अपने पिता की राधा कृष्ण भक्ति को देखते हुए विवाह करने से मना कर दिया और कृपालु महाराज की सेवा में जुट गयीं।<ref>{{cite web |url=http://www.jagran.com/news/national-jagat-guru-kripalu-ji-maharaj-help-friends-10863517.html |title=दोस्तों के दोस्त थे जगत कृपालु जी महाराज |accessmonthday=25  नवंबर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण डॉट कॉम |language=हिंदी }}</ref>
अपनी ननिहाल मनगढ़ में जन्मे राम कृपालु त्रिपाठी ने गाँव के ही मिडिल स्कूल से 7वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये महू, [[मध्य प्रदेश]] चले गये। अपने ननिहाल में ही पत्नी पद्मा के साथ गृहस्थ जीवन की शुरुआत की और [[राधा]]-[[कृष्ण]] की भक्ति में तल्लीन हो गये। भक्ति-योग पर आधारित उनके प्रवचन सुनने भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचने लगे। फिर तो उनकी ख्याति देश के अलावा विदेश तक जा पहुँची। उनके परिवार में दो बेटे घनश्याम व बालकृष्ण त्रिपाठी हैं। इसके अलावा तीन बेटियाँ भी हैं - विशाखा, श्यामा व कृष्णा त्रिपाठी। उन्होंने अपने दोनों बेटों की शादी कर दी जो इस समय [[दिल्ली]] में रहकर उनके ट्रस्ट का सारा कामकाज खुद सम्हालते हैं। जबकि उनकी तीनों बेटियों ने अपने पिता की राधा कृष्ण भक्ति को देखते हुए विवाह करने से मना कर दिया और कृपालु महाराज की सेवा में जुट गयीं।<ref>{{cite web |url=http://www.jagran.com/news/national-jagat-guru-kripalu-ji-maharaj-help-friends-10863517.html |title=दोस्तों के दोस्त थे जगत् कृपालु जी महाराज |accessmonthday=25  नवंबर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण डॉट कॉम |language=हिंदी }}</ref>
==प्रेम मन्दिर की स्थापना==
==प्रेम मन्दिर की स्थापना==
{{Main|प्रेम मन्दिर}}
{{Main|प्रेम मन्दिर}}

Latest revision as of 14:15, 30 June 2017

कृपालु महाराज
पूरा नाम जगदगुरु कृपालु महाराज
अन्य नाम राम कृपालु त्रिपाठी
जन्म 6 अक्टूबर, 1922
जन्म भूमि प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 नवंबर, 2013
मृत्यु स्थान गुड़गाँव, हरियाणा
पति/पत्नी पद्मा
संतान घनश्याम व बालकृष्ण त्रिपाठी (पुत्र); विशाखा, श्यामा व कृष्णा त्रिपाठी (पुत्रियाँ)
कर्म-क्षेत्र आध्यात्मिक गुरु
विशेष योगदान प्रेम मंदिर की स्थापना
नागरिकता भारतीय
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

जगदगुरु कृपालु महाराज (अंग्रेज़ी: Kripalu Maharaj, वास्तविक नाम: राम कृपालु त्रिपाठी, जन्म:6 अक्टूबर, 1922 - मृत्यु: 15 नवंबर, 2013) एक आधुनिक संत एवं आध्यात्मिक गुरु थे। कृपालु महाराज का जन्म प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील के मनगढ़ गांव में 6 अक्टूबर, 1922 को हुआ था। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मनगढ स्थित सुप्रसिद्ध भक्ति धाम तथा मथुरा जिला के वृन्दावन स्थित प्रेम मंदिर का निर्माण कृपालु महाराज ने करवाया था। इनकी आध्यात्मिक शिक्षा बनारस में हुई।

जीवन परिचय

अपनी ननिहाल मनगढ़ में जन्मे राम कृपालु त्रिपाठी ने गाँव के ही मिडिल स्कूल से 7वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये महू, मध्य प्रदेश चले गये। अपने ननिहाल में ही पत्नी पद्मा के साथ गृहस्थ जीवन की शुरुआत की और राधा-कृष्ण की भक्ति में तल्लीन हो गये। भक्ति-योग पर आधारित उनके प्रवचन सुनने भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचने लगे। फिर तो उनकी ख्याति देश के अलावा विदेश तक जा पहुँची। उनके परिवार में दो बेटे घनश्याम व बालकृष्ण त्रिपाठी हैं। इसके अलावा तीन बेटियाँ भी हैं - विशाखा, श्यामा व कृष्णा त्रिपाठी। उन्होंने अपने दोनों बेटों की शादी कर दी जो इस समय दिल्ली में रहकर उनके ट्रस्ट का सारा कामकाज खुद सम्हालते हैं। जबकि उनकी तीनों बेटियों ने अपने पिता की राधा कृष्ण भक्ति को देखते हुए विवाह करने से मना कर दिया और कृपालु महाराज की सेवा में जुट गयीं।[1]

प्रेम मन्दिर की स्थापना

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में बनवाया गया प्रेम मन्दिर कृपालु महाराज की ही अवधारणा का परिणाम है। भारत में मथुरा के समीप वृंदावन में स्थित इस मन्दिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय और लगभग सौ करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इटैलियन संगमरमर का प्रयोग करते हुए इसे राजस्थान और उत्तर प्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया। इस मन्दिर का शिलान्यास स्वयं कृपालुजी ने ही किया था। यह मन्दिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। मन्दिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। सभी वर्ण, जाति तथा देश के लोगों के लिये हमेशा खुले रहने वाले इसके दरवाज़े सभी दिशाओं में खुलते है। मुख्य प्रवेश द्वार पर आठ मयूरों के नक्काशीदार तोरण हैं एवं सम्पूर्ण मन्दिर की बाहरी दीवारों को राधा-कृष्ण की लीलाओं से सजाया गया है। मन्दिर में कुल 94 स्तम्भ हैं जो राधा-कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाये गये हैं। अधिकांश स्तम्भों पर गोपियों की मूर्तियाँ अंकित हैं।

मृत्यु

जगद्गुरु कृपालु महाराज का 15 नवम्बर, 2013 (शुक्रवार) सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर गुड़गाँव के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दोस्तों के दोस्त थे जगत् कृपालु जी महाराज (हिंदी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 25 नवंबर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख