प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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-[[ऑस्ट्रेलिया]] | -[[ऑस्ट्रेलिया]] | ||
-[[अफ्रीका]] | -[[अफ्रीका]] | ||
||हेनरी मूर 20वीं शताब्दी के अति महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश शिल्पकार थे। इनका जन्म [[30 जुलाई]], 1898 ई. को कैसटलफोर्ड, यॉर्कशायर, इंग्लैंड में हुआ था। बर्ड बास्केट (Bird Basket-1939) इनके अति महत्त्वपूर्ण कलाओं में है। ये अतियथार्थवादी थे। इनकी मृत्यु [[31 अगस्त]], [[1986]] ई. को इंग्लैंड में हो | ||हेनरी मूर 20वीं शताब्दी के अति महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश शिल्पकार थे। इनका जन्म [[30 जुलाई]], 1898 ई. को कैसटलफोर्ड, यॉर्कशायर, इंग्लैंड में हुआ था। बर्ड बास्केट (Bird Basket-1939) इनके अति महत्त्वपूर्ण कलाओं में है। ये अतियथार्थवादी थे। इनकी मृत्यु [[31 अगस्त]], [[1986]] ई. को [[इंग्लैंड]] में हो गयी। | ||
{'शिल्प रत्न' के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-154 | {'शिल्प रत्न' के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-154 | ||
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{[[मूर्तिकला]] की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236 | {[[मूर्तिकला]] की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मथुरा | -[[मूर्ति कला मथुरा|मथुरा]] | ||
-भरहुत | -[[भरहुत मूर्तिकला|भरहुत]] | ||
+[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]] | +[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]] | ||
- | -[[राजस्थानी मूर्तिकला]] | ||
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला [[पाकिस्तान]] एवं पूर्वी अफगानिस्तान के बीच विकसित हुई। [[भारत]] में यह [[कला]] कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण कला का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]] | ||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस [[मूर्तिकला]] शैली के प्रमुख संरक्षक [[शक]] एवं [[कुषाण]] थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला [[पाकिस्तान]] एवं पूर्वी [[अफगानिस्तान]] के बीच विकसित हुई। [[भारत]] में यह [[कला]] कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण कला का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]] | ||
{[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार कला]] किसके समय पनपी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-237 | {[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार कला]] किसके समय पनपी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-237 | ||
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-शाक्य | -[[शाक्य गणराज्य|शाक्य]] | ||
-[[मौर्य]] | -[[मौर्य]] | ||
+[[कुषाण]] | +[[कुषाण]] | ||
-[[शुंग]] | -[[शुंग]] | ||
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार शैली]] है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला पाकिस्तान एवं पूर्वी [[अफगानिस्तान]] के बीच विकसित हुई। भारत में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण [[कला]] का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है। | ||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार शैली]] है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक [[शक]] एवं [[कुषाण]] थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला [[पाकिस्तान]] एवं पूर्वी [[अफगानिस्तान]] के बीच विकसित हुई। [[भारत]] में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण [[कला]] का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है। | ||
{'[[पृथ्वीराज कपूर]] क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73 | {'[[पृथ्वीराज कपूर]] क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73 | ||
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-नेता | -नेता | ||
-व्यापारी | -व्यापारी | ||
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+[[अभिनेता]] | +[[अभिनेता]] | ||
||[[पृथ्वीराज कपूर]] [[अभिनेता]] थे। इनका जन्म [[3 नवंबर]], [[1906 |1906]] को अविभाजित [[भारत]] का [[पंजाब]] (विभाजन के बाद [[पाकिस्तान]]) प्रांत में हुआ था। इनकी मृत्यु [[29 मई]], [[1972]] को [[मुंबई]] में कैंसर से हुई। | ||[[पृथ्वीराज कपूर]] [[अभिनेता]] थे। इनका जन्म [[3 नवंबर]], [[1906 |1906]] को अविभाजित [[भारत]] का [[पंजाब]] (विभाजन के बाद [[पाकिस्तान]]) प्रांत में हुआ था। इनकी मृत्यु [[29 मई]], [[1972]] को [[मुंबई]] में कैंसर से हुई। | ||
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{[[प्रेमचंद]] की कहानी पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' नामक चलचित्र का निर्देशक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-164 | {[[प्रेमचंद]] की कहानी पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' नामक चलचित्र का निर्देशक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-164 | ||
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- | -[[ऋत्विक घटक]] | ||
-ऋषिकेश मुखर्जी | -[[ऋषिकेश मुखर्जी]] | ||
-शेखर कपूर | -शेखर कपूर | ||
+[[सत्यजीत रे]] | +[[सत्यजीत रे]] | ||
||प्रेमचंद की | ||प्रेमचंद की कहानी पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' वर्ष [[1977]] में बनी हिंदी भाषा की फ़िल्म है। इसके निर्देशक बांग्ला फ़िल्मकार [[सत्यजीत रे]] थे। इसकी कहानी 1856 ई. के अवध नवाब [[वाजिद अली शाह]] के दो अमीरों के इर्द-गिर्द घूमती है। ये दोनों खिलाड़ी शतरंज खेलने में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने शासन तथा परिवार की कोई फ्रिक नहीं रहती। इसी की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों की सेना अवध पर चढ़ाई करती है। | ||
{[[सांझी कला]] किस पर की जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-37 | {[[सांझी कला]] किस पर की जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-37 | ||
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+[[काग़ज़]] पर | +[[काग़ज़]] पर | ||
-भूमि पर | -भूमि पर | ||
- | -कलश पर | ||
-कपड़े पर | -कपड़े पर | ||
||[[सांझी कला]] मुख्यत: | ||[[सांझी कला]] मुख्यत: [[काग़ज़]] पर की जाती है। एक सांझी कला के द्वारा भूमि पर छपाई की जाती है। सांझी कला [[ब्रजमंडल]] ([[मथुरा]]) की अनूठी परंपरा रही है। सांझी कला ब्रजमंडल के हर घर के आंगन और तिवारे में ब्रजवासी [[राधा|राधारानी]] के स्वागत के लिए सजाते रहे हैं। | ||
{[[भारतवर्ष]] में प्रकाशित पहला | {[[भारतवर्ष]] में प्रकाशित पहला अख़बार कौन सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-इंडियन एक्सप्रेस | -इंडियन एक्सप्रेस | ||
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-द हिंदू | -द हिंदू | ||
+बंगाल गजट | +बंगाल गजट | ||
||भारतवर्ष में प्रकाशित पहला | ||भारतवर्ष में प्रकाशित पहला अख़बार 'बंगाल गजट' है जो वर्ष 1780 में अंग्रेज़ (आयरिश) जेम्स अगस्ट हिकी द्वारा कलकत्ता से प्रकाशित किया गया था। अत: इसी समय से [[कोलकाता]] में पहली छपाई मशीन की शुरुआत हुई। | ||
{वर्ष 1630 में चित्रित 'रसिक प्रिया' के चितेरे कौन थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-29 | {वर्ष 1630 में चित्रित '[[रसिकप्रिया|रसिक प्रिया]]' के चितेरे कौन थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-29 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+साहबदीन | +साहबदीन | ||
-[[ | -मनोहर | ||
-[[जगन्नाथ]] | |||
-शृंगधर | -शृंगधर | ||
||'[[गीत गोविन्द]]' (1926), '[[सूरसागर]]', इत्यादि से संबद्ध कथानकों के चित्र ' | ||'[[गीत गोविन्द]]' (1926), '[[सूरसागर]]', इत्यादि से संबद्ध कथानकों के चित्र '[[रसिकप्रिया|रसिक प्रिया]]', 'बिहारी सतसई' से संबद्ध चित्र, 'नायक-नायिका भेद' 'उदयपुर महाराणाओं के व्यक्ति चित्र', 'भागवत पुराण' (1648) आदि साहबदीन कलाकार द्वारा चित्रित है। | ||
{मोटी एवं नाटी मानव आकृति किस शैली की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-26 | {मोटी एवं नाटी मानव आकृति किस शैली की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-26 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -किशनगढ़ | ||
+[[मेवाड़]] | +[[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़]] | ||
-[[ | -अजंता | ||
-[[बूँदी चित्रकला|बूंदी]] | |||
||मोटी एवं नाटी मानव आकृति [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] की विशेषता है। इस शैली में मानव आकृति में नाकें लंबी, चेहरे गोल चिबुक तथा | ||मोटी एवं नाटी मानव आकृति [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] की विशेषता है। इस शैली में मानव आकृति में नाकें लंबी, चेहरे गोल चिबुक तथा गरदन के बीच का भाग अधिक भारी तथा पुष्ट बनाया गया है, जिससे स्त्री आकारों में अधिक गंभीरता, भारीपन और उत्साह की भावना उत्पन्न हो गई है। स्त्रियां आकार में कुछ छोटी (नाटी) बनाई गई हैं। और मानव आकृतियों के नेत्र दो वक्रों के द्वारा मीनाकार ढंग के बनाए गए हैं। | ||
{कौन-सा | {कौन-सा मुग़ल चित्रकार और सुलिपिकार दोनों था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-83 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[बसावन]] | -[[बसावन]] | ||
+[[अब्दुस्समद]] | +[[अब्दुस्समद]] | ||
-मीर सैयद अली | -[[मीर सैय्यद अली|मीर सैयद अली]] | ||
-बिहजाद | -बिहजाद | ||
||[[अब्दुस्समद]] केवल एक श्रेष्ठ [[चित्रकार]] ही नहीं था वरन वह अपनी सुलिपि के लिए भी बहुत प्रसिद्ध | ||[[अब्दुस्समद]] केवल एक श्रेष्ठ [[चित्रकार]] ही नहीं था वरन वह अपनी सुलिपि के लिए भी बहुत प्रसिद्ध था। | ||
{हरिपुरा कांग्रेस के पोस्टर किसने चित्रित किए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-33 | {हरिपुरा कांग्रेस के पोस्टर किसने चित्रित किए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-33 | ||
Line 116: | Line 116: | ||
-ईश्वरी प्रसाद | -ईश्वरी प्रसाद | ||
{'लैंडस्केप' किस | {'लैंडस्केप' किस अंग्रेज़ [[चित्रकार]] ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बॉरदे | -बॉरदे | ||
Line 130: | Line 130: | ||
-[[यथार्थवाद]] | -[[यथार्थवाद]] | ||
+पॉप कला | +पॉप कला | ||
||वर्ष 1952 में लंदन (इंग्लैंड) की 'समकालीन कला संस्था' के वास्तुकार एलिसन व स्मिथसन, मूर्तिकार पाओलौटिक चित्रकार हैमिल्टन व अन्य कलाकारों के सम्मेलन आरंभ हुए, यहीं से पॉप कला का उद्भव हुआ। अमेरिका के पॉप कलाकारों में रॉबर्ट रोशेनबर्ग, जास्पेर जांस, एंडी वरहोल, रॉय लिस्टेनस्टाइन, राबर्ट इण्डियाना, जिम डाइन आदि विशेष प्रसिद्ध थे। | |||
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Revision as of 11:36, 6 December 2017
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