छलितक योग कला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग [[हनुमान]] जी ने श्री[[राम|रामचन्द्र]]जी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था। | [[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग [[हनुमान]] जी ने श्री[[राम|रामचन्द्र]]जी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था। | ||
{{प्रचार}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} | {{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} | ||
[[Category:चौंसठ कलाएँ]] | [[Category:चौंसठ कलाएँ]] | ||
[[Category:कला_कोश]]__INDEX__ | [[Category:कला_कोश]]__INDEX__ |
Revision as of 10:46, 14 June 2011
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग हनुमान जी ने श्रीरामचन्द्रजी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।