देवदत्त: Difference between revisions
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Revision as of 14:36, 11 February 2011
- छठी शताब्दी, ई॰पू॰ भारत बौद्ध भिक्षु, जिन्होंने जीवन की कड़ी आचार संहिता लागू कर के संघ (बौद्ध भिक्षुओं) में सुधार लाने का प्रयास किया। वह बुद्ध के संबधी थे।
- ऐसा समझा जाता है कि देवदत्त गौतम के कार्यकाल के 20 वें वर्ष में आनंद के साथ, जो शायद उनके भाई थे, संघ में सम्मिलित हुए।
- मगध के राजकुमार अजातशत्रु के साथ अपनी मित्रता घनिष्ठ होने के 15 वर्ष बाद देवदत्त ने संघ की औपचारिक बैठक में प्रस्ताव किया कि बुद्ध नेतृत्व छोड़कर उन्हें सौंप दें।
- इस प्रकार इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया और समझा जाता है कि देवदत्त ने आजातशत्रु को अपने वृद्ध पिता मगध के राजा बिम्बिसार को मार देने के लिए उकसाने की कामयाब कोशिश की और बुद्ध की हत्या करने के भी तीन असफल प्रयास किए- किराये के हत्यारे द्वारा, पर्वत से बुद्ध पर चट्टान गिराकर और सड़क पर भिक्षा एकत्रित करते समय उन पर पागल हाथी छोड़कर।
- लोकप्रिय स्वीकृति भांपकर देवदत्त ने संघ के तपस्वियों के लिए और कड़े नियमों का प्रस्ताव किया, लेकिन प्रस्ताव पारित होने पर बुद्ध के 500 अनुयायियों को अलग होने के लिए उकसाया।
- देवदत्त की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन शायद उनका उल्लेख अंगुत्तरनिकाय (प्रमाणित गंथ) में 'गोतमक' के नाम से मिलता है, क्योंकि देवदत्त के परिवार का नाम, गोतम (गौतम) था।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लिखा है कि बंगाल में 7वीं शताब्दी में मठों में भिक्षु देवदत्त के कुछ नियमों का पालन करते थे।