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+रामतन पाण्डे | +रामतन पाण्डे | ||
-विष्णु पाण्डे | -विष्णु पाण्डे | ||
||[[Image:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|तानसेन|right| | ||[[Image:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|तानसेन|right|120px]] भारतीय [[संगीत]] के प्रसिद्ध गायक तानसेन का जन्म सन 1504 से 1509 ई. के बीच ग्वालियर से लगभग 45 किलोमीटर दूर ग्राम बेहट में [[ग्वालियर]] के तत्कालीन प्रसिद्ध फ़क़ीर हजरत [[मुहम्मद गौस]] के वरदान स्वरूप हुआ था। कहते है कि श्री मकरंद पांडे के कई संताने हुई, लेकिन एक पर एक अकाल ही काल कवलित होती चली गईं। इससे निराश और व्यथित श्री मकरंद पांडे सूफी संत मुहम्मद गौस की शरण में गये और उनकी दुआ से सन 1486 में तन्ना उर्फ तनसुख उर्फ त्रिलोचन का जन्म हुआ, जो आगे चलकर तानसेन के नाम से विख्यात हुआ।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तानसेन]] | ||
{[[अमीर ख़ुसरो]] का जन्म कहाँ हुआ था? | {[[अमीर ख़ुसरो]] का जन्म कहाँ हुआ था? | ||
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-सैफुल्ला | -सैफुल्ला | ||
-यूसूफ खाँ | -यूसूफ खाँ | ||
||[[चित्र:Mirza-Ghalib.gif|right| | ||[[चित्र:Mirza-Ghalib.gif|right|80px|मिर्ज़ा ग़ालिब]] ग़ालिब का जन्म [[आगरा]], [[उत्तर प्रदेश]] में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम 'मिर्ज़ा असदुल्ला बेग़ ख़ान 'ग़ालिब' था। बाद में वे [[दिल्ली]] में बस गए थे। 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह उमरो बेग़म से हुआ था। ग़ालिब ऐशो-आराम की ज़िंदग़ी व्यतीत करते थे। अपव्ययी होने के कारण वे कर्ज़ में डूबे रहते थे। उनके जीवन का उत्तरार्ध बड़ी विपन्नता में बीता था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मिर्ज़ा ग़ालिब]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन एक उत्तर भारतीय [[नृत्य कला|नृत्य]] है? | {निम्नलिखित में से कौन एक उत्तर भारतीय [[नृत्य कला|नृत्य]] है? | ||
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{[[केरल]] में सर्वाधिक प्रचलित [[शास्त्रीय नृत्य]] है? | {[[केरल]] में सर्वाधिक प्रचलित [[शास्त्रीय नृत्य]] है? | ||
-[[कुचिपुड़ि नृत्य| | -[[कुचिपुड़ि नृत्य|कुचिपुड़ी]] | ||
+[[कथकली नृत्य|कथकली]] | +[[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
-[[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहिनीअट्टम]] | -[[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहिनीअट्टम]] | ||
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||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|100px|[[बिरजू महाराज]]]] [[शास्त्रीय नृत्य]] में कथक का नृत्य रूप 100 से अधिक घुंघरुओं को पैरों में बांध कर तालबद्ध पदचाप, विहंगम चक्कर द्वारा पहचाना जाता है और हिन्दू धार्मिक कथाओं के अलावा पर्शियन और उर्दू कविता से ली गई विषय वस्तुओं का नाटकीय प्रस्तुतीकरण किया जाता है। कथक का जन्म उत्तर में हुआ किन्तु पर्शियन और मुस्लिम प्रभाव से यह मंदिर की रीति से दरबारी मनोरंजन तक पहुंच गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कथक नृत्य|कत्थक]] | ||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|100px|[[बिरजू महाराज]]]] [[शास्त्रीय नृत्य]] में कथक का नृत्य रूप 100 से अधिक घुंघरुओं को पैरों में बांध कर तालबद्ध पदचाप, विहंगम चक्कर द्वारा पहचाना जाता है और हिन्दू धार्मिक कथाओं के अलावा पर्शियन और उर्दू कविता से ली गई विषय वस्तुओं का नाटकीय प्रस्तुतीकरण किया जाता है। कथक का जन्म उत्तर में हुआ किन्तु पर्शियन और मुस्लिम प्रभाव से यह मंदिर की रीति से दरबारी मनोरंजन तक पहुंच गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कथक नृत्य|कत्थक]] | ||
{यामिनी कृष्णमूर्ति का सम्बन्ध किस शास्त्रीय नृत्य से है? | {यामिनी कृष्णमूर्ति का सम्बन्ध किस [[शास्त्रीय नृत्य]] से है? | ||
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-[[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | -[[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | ||
-[[कथकली नृत्य|कथकली]] | -[[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
-[[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | -[[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
+[[कुचिपुड़ि नृत्य| | +[[कुचिपुड़ि नृत्य|कुचिपुड़ी]] | ||
||[[चित्र:Kuchipudi-Dance.jpg|right|100px|कुची पुडी नृत्य, [[आंध्र प्रदेश]]]] कुचीपुडी [[आंध्र प्रदेश]] की एक स्वदेशी [[नृत्य कला|नृत्य]] शैली है जिसने इसी नाम के गांव में जन्म लिया और पनपी, इसका मूल नाम कुचेलापुरी या कुचेलापुरम था, जो कृष्णा ज़िले का एक कस्बा है। अपने मूल से ही यह तीसरी शताब्दी बीसी में अपने धुंधले अवशेष छोड़ आई है, यह इस क्षेत्र की एक निरंतर और जीवित नृत्य परम्परा है। कुचीपुडी कला का जन्म अधिकांश भारतीय [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्यों]] के समान धर्मों के साथ जुड़ा हुआ है। एक लम्बे समय से यह कला केवल मंदिरों में और वह भी आंध्र प्रदेश के कुछ मंदिरों में वार्षिक उत्सव के अवसर पर प्रदर्शित की जाती थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुचिपुड़ि नृत्य| | ||[[चित्र:Kuchipudi-Dance.jpg|right|100px|कुची पुडी नृत्य, [[आंध्र प्रदेश]]]] कुचीपुडी [[आंध्र प्रदेश]] की एक स्वदेशी [[नृत्य कला|नृत्य]] शैली है जिसने इसी नाम के गांव में जन्म लिया और पनपी, इसका मूल नाम कुचेलापुरी या कुचेलापुरम था, जो कृष्णा ज़िले का एक कस्बा है। अपने मूल से ही यह तीसरी शताब्दी बीसी में अपने धुंधले अवशेष छोड़ आई है, यह इस क्षेत्र की एक निरंतर और जीवित नृत्य परम्परा है। कुचीपुडी कला का जन्म अधिकांश भारतीय [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्यों]] के समान धर्मों के साथ जुड़ा हुआ है। एक लम्बे समय से यह कला केवल मंदिरों में और वह भी आंध्र प्रदेश के कुछ मंदिरों में वार्षिक उत्सव के अवसर पर प्रदर्शित की जाती थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुचिपुड़ि नृत्य|कुचिपुड़ी]] | ||
{लीला सैम्सन का सम्बन्ध किस [[शास्त्रीय नृत्य]] शैली से है? | {लीला सैम्सन का सम्बन्ध किस [[शास्त्रीय नृत्य]] शैली से है? | ||
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+[[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | +[[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | ||
-[[कुचिपुड़ि नृत्य| | -[[कुचिपुड़ि नृत्य|कुचिपुड़ी]] | ||
-[[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | -[[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
-[[कथकली नृत्य|कथकली]] | -[[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
||[[चित्र:Bharatanatyam-Dance.jpg|right|100px|भरतनाट्यम नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] का यह एक प्रसिद्ध नृत्य है। भरत नाट्यम, [[भारत]] के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के [[तमिलनाडु]] राज्य से है। यह नाम 'भरत' शब्द से लिया गया तथा इसका संबंध नृत्यशास्त्र से है। ऐसा माना जाता है कि [[ब्रह्मा]], हिंदू देवकुल के महान त्रिदेवों में से प्रथम, नाट्य शास्त्र अथवा नृत्य विज्ञान हैं। इन्द्र व स्वर्ग के अन्य देवताओं के अनुनय-विनय से ब्रह्मा इतना प्रभावित हुआ कि उसने नृत्य वेद सृजित करने के लिए चारों [[वेद|वेदों]] का उपयोग किया। नाट्य वेद अथवा पंचम वेद, भरत व उसके अनुयाइयों को प्रदान किया गया जिन्होंने इस विद्या का परिचय पृथ्वी के नश्वर मनुष्यों को दिया। अत: इसका नाम भरत नाट्यम हुआ।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | |||
{प्रियंवदा मोहंती का सम्बन्ध किस [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्य कला]] शैली से है? | {प्रियंवदा मोहंती का सम्बन्ध किस [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्य कला]] शैली से है? | ||
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-[[कूडियाट्टम नृत्य|कूडियाट्टम]] | -[[कूडियाट्टम नृत्य|कूडियाट्टम]] | ||
-[[कुट्टी अट्टम नृत्य|कुट्टी अट्टम]] | -[[कुट्टी अट्टम नृत्य|कुट्टी अट्टम]] | ||
||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|right|100px|कथकली नृत्य, [[केरल]]]] [[केरल]] के दक्षिण - पश्चिमी राज्य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली यहाँ की परम्परा है। कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्य नाटिका। कथा का अर्थ है कहानी, यहाँ अभिनेता [[रामायण]] और [[महाभारत]] के महाग्रंथों और [[पुराण|पुराणों]] से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं। यह अत्यंत रंग बिरंगा नृत्य है। इसके नर्तक उभरे हुए परिधानों, फूलदार दुपट्टों, आभूषणों और मुकुट से सजे होते हैं। वे उन विभिन्न भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए सांकेतिक रूप से विशिष्ट प्रकार का रूप धरते हैं, जो वैयक्तिक चरित्र के बजाए उस चरित्र के अधिक नज़दीक होते हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कथकली नृत्य|कथकली]] | |||
{''रंगोली'' [[भारत]] के किस क्षेत्र की प्रमुख लोक कला शैली है? | {''रंगोली'' [[भारत]] के किस क्षेत्र की प्रमुख लोक कला शैली है? | ||
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-जयपुर घराना | -जयपुर घराना | ||
{ निम्न में से कौन सा हिन्दुस्तानी [[संगीत]] घराना नहीं है? | { निम्न में से कौन सा घराना हिन्दुस्तानी [[संगीत]] घराना नहीं है? | ||
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+लखनऊ घराना | +लखनऊ घराना |