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| -[[रसखान]] | | -[[रसखान]] |
| -[[सूरदास]] | | -[[सूरदास]] |
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| {"यदि चादर के बाहर........पसारोगे तो पछताओगे"
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| |type="()"}
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| -हाथ
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| -बाजु
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| -टाँग
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| +पैर
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| {(वाक्य में उचित विराम चिन्ह लगाएँ) उसने एम ए बी एड पास किया है?
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| |type="()"}
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| -एम. ए., बी. एड.
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| +एम.ए., बी.एड
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| -एम ए., बी. एड.
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| -एम. ए., बीएड
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| {'महाभोज' रचना की प्रधान समस्या को उजागर करने वाले विकल्प को चुनिए?
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| |type="()"}
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| -भ्रष्टाचार की समस्या
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| -नारी समस्या
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| +राजनीतिक समस्या
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| -मनौवैज्ञानिक समस्या
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| {अर्द्धसम मात्रिक जाति का छन्द है-
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| |type="()"}
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| -रोला
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| +दोहा
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| -चौपाई
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| -कुण्डलिया
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| {'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है?
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| |type="()"}
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| -व्यंग्यपरक
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| -उपदेशात्मक
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| +यथार्थवादी
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| -आदर्शवादी
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| {[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है-
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| |type="()"}
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| -पद्मावत
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| -मधुमालती
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| -मृगावती
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| +[[रामचरितमानस]]
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|गोस्वामी तुलसीदास]] 'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संम्वत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था। यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। इसकी समाप्ति संम्वत 1633 ई. की मार्गशीर्ष, शुक्ल 5, रविवार को हुई थी, किन्तु उक्त तिथि गणना से शुद्ध नहीं ठहरती, इसलिए विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। यह रचना [[अवधी भाषा|अवधी बोली]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य छन्द चौपाई और दोहा हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है। इस प्रकार के समस्त कड़वकों की संख्या 1074 है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरितमानस]]
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| {विद्यापति की 'पदावली' की भाषा क्या है?
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| |type="()"}
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| +[[मैथिली भाषा|मैथिली]]
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| -[[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]]
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| -[[ब्रजभाषा]]
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| -मगही
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| {'शेष कादम्बरी' के रचयिता हैं?
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| |type="()"}
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| -नरेश मेहता
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| -[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| -[[बाणभट्ट]]
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| +अलका सरावगी
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| {'[[मुख]] रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया' पंक्तियों में अलंकार है-
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| |type="()"}
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| -श्लेष
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| -वक्रोक्ति
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| -उपमा
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| +रूपक
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| {जहाँ किसी वस्तु का लोक-सीमा से इतना बढ़कर वर्णन किया जाए कि वह असम्भव की सीमा तक पहुँच जाए, वहाँ अलंकार होता है-
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| |type="()"}
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| -[[अतिशयोक्ति अलंकार|अतिशयोक्ति]]
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| -विरोधाभास
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| +अत्युक्ति
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| -[[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा]]
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| </quiz> | | </quiz> |
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