बुंदेलखंड चन्देलों का शासन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
mNo edit summary
Line 10: Line 10:
'''शिलालेख''' चन्देलों की कीर्ति के अनेक शिलालेख हैं। [[देवगढ़]] के शिलालेख में चन्देल वैभव इस प्रकार दर्शाया है<ref>ॐ नम: शिवाय। चान्देल वंश कुमुदेन्दु विशाल कीर्ति: ख्यातो बभूव नृप संघनताहिन पद्म:।</ref>  
'''शिलालेख''' चन्देलों की कीर्ति के अनेक शिलालेख हैं। [[देवगढ़]] के शिलालेख में चन्देल वैभव इस प्रकार दर्शाया है<ref>ॐ नम: शिवाय। चान्देल वंश कुमुदेन्दु विशाल कीर्ति: ख्यातो बभूव नृप संघनताहिन पद्म:।</ref>  


'''चन्देलों के प्रमुख स्थान''' [[खजुराहो]], [[अजयगढ़]], [[कालिंजर]], महोबा, [[दुधही]], [[चाँदपुर]] आदि हैं। चन्देल अभिलेख से स्पष्ट है कि परमार नरेश भोज के समय में विदेशी आक्रमणकारियों का ताँता लग गया था। कलिं को लूटने के लिए [[मुहम्मद बिन क़ासिम|मुहम्मद कासिम]], [[महमूद गज़नवी]], [[शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी]] आदि आर्य और विपुलधन को अपने साथ ले गये। [[मुहम्मद गौरी]] के द्वारा यहाँ का शासक [[कुतुबुद्दीन एबक]] बनाया गया था।
'''चन्देलों के प्रमुख स्थान''' [[खजुराहो]], [[अजयगढ़]], [[कालिंजर]], महोबा, [[दुधही]], [[चाँदपुर]] आदि हैं। चन्देल अभिलेख से स्पष्ट है कि परमार नरेश भोज के समय में विदेशी आक्रमणकारियों का ताँता लग गया था। कलिं को लूटने के लिए [[मुहम्मद बिन क़ासिम|मुहम्मद कासिम]], [[महमूद गज़नवी]], [[शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी]] आदि आर्य और विपुलधन को अपने साथ ले गये। [[मुहम्मद गौरी]] के द्वारा यहाँ का शासक [[क़ुतुबुद्दीन ऐबक]] बनाया गया था।


==कलिं का क़िला==  
==कलिं का क़िला==  

Revision as of 06:19, 5 July 2011

महाकवि चन्द ने भी चन्देलों के राजवंशों की विस्तृत सूची दी है। नन्नुक चन्देलों का आदि पुरुष माना जाता है। इसे प्रारंभ में राजा न मानकर नागभ द्वितीय (प्रतिहार शासक) के संरक्षण में विकसित होने वाला शासक बताया गया है। ऐसा साक्ष्य धंग के खजुराहे- अभिलेख में भी मिला है।

चन्देलों की परंपरा

चन्देलों की अपनी परंपरा है। नन्नुक एक आदि शासक है। इसके बाद वाक्यपति का नाम आता है। जयशक्ति और विजयशक्ति वाक्यपति के पुत्र थे। वाक्यपति के बाद सिंहासन पर जयशक्ति को बैठाया गया था और इसी के नाम से ही बुंदेलखंड क्षेत्र का नाम 'जेजाकभुक्ति' पड़ा था। मदनपुर के शिलालेख और अलबेरुनी के भारत संबंधी यात्रा विवरण में इस तथ्य को समर्थन मिलता है।

जयशक्ति के बाद इस सिंहासन पर विजयशक्ति को बैठाया गया था। विजयशक्ति ने कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं किए परन्तु उसके पुत्र राहील की ख्याति अपने पराक्रम के लिए विशेष है। केशव चन्द्र मिश्र ने लिखा है कि "यदि चन्देल शासक राहील के कार्यों का सिंहावलोकन किया जाये तो ज्ञात होगा कि 900 ई. से 915 ई. तक के 15 वर्षों के शासन काल में उसने सैन्यबल को संगठित किया, उसे महत्त्वाशाली बनाया और अजयगढ़ की विजय करके ऐतिहासिक सैनिक केन्द्र स्थापित किया था। कलचुरि से उसने विवाह करके प्रभावशाली कार्य किया। राहिल के बाद चन्देल राज्य की स्वतंत्र सत्ता का और विकास हुआ था। चन्देलों ने सोलहवीं शताब्दी तक शासन किया था। चन्देलों के साथ दुर्गावती का भी नाम लिया जाता है।

कलाएँ चन्देल काल में बुंदेलखंड में कलाओं का विशेष विकास हुआ था।

शिलालेख चन्देलों की कीर्ति के अनेक शिलालेख हैं। देवगढ़ के शिलालेख में चन्देल वैभव इस प्रकार दर्शाया है[1]

चन्देलों के प्रमुख स्थान खजुराहो, अजयगढ़, कालिंजर, महोबा, दुधही, चाँदपुर आदि हैं। चन्देल अभिलेख से स्पष्ट है कि परमार नरेश भोज के समय में विदेशी आक्रमणकारियों का ताँता लग गया था। कलिं को लूटने के लिए मुहम्मद कासिम, महमूद गज़नवी, शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी आदि आर्य और विपुलधन को अपने साथ ले गये। मुहम्मद गौरी के द्वारा यहाँ का शासक क़ुतुबुद्दीन ऐबक बनाया गया था।

कलिं का क़िला

बुंदेलखंड के इतिहास में सभी बादशाहों के आकर्षण का केन्द्र बुंदेलखंड में कलिं का क़िला रहा है और इसे प्राप्त करने के सभी ने प्रयत्न किये हैं। हिन्दू और मुसलमान राजाओं में इसके निमित्त अनेक लड़ाईयाँ हुई थी। ख़िलजी वंश का शासन संवत 1377 तक माना गया है। अलाउद्दीन ख़िलजी को उसके मंत्री मलिक काफ़ूर ने मारा था। कालिंजर और अजयगढ़ चन्देलों के हाथ में ही रहे थे। नरसिंहराय ने इसी समय ग्वालियर पर अपना अधिकार किया था। यह बाद में तोमरों के हाथ में चला गया था। मानसी तोमर ग्वालियर के प्रसिद्ध राजा माने गए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ॐ नम: शिवाय। चान्देल वंश कुमुदेन्दु विशाल कीर्ति: ख्यातो बभूव नृप संघनताहिन पद्म:।

संबंधित लेख