सोपारा: Difference between revisions
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सोपारा गाँव में [[अशोक|सम्राट अशोक]] द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी में निर्मित [[स्तूप]] भी है। यह स्तूप [[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] द्वारा संरक्षित है। 'नाल' और 'सोपारा' दो अलग अलग गाँव थे। रेलवे लाइन के पूर्व की ओर 'नाल' है तो पश्चिम में 'सोपारा' गावँ है। वर्तमान में यह एक बड़ा शहर हो गया है। पुराने सोपारा गाँव के करीब चारों तरफ हरियाली और बहुत सारे पेड़ हैं। सापोरा स्तूप में [[बुद्ध]] और साथ ही किसी [[बौद्ध]] भिक्षु की मूर्ति भी थी। यहाँ से निकली मूर्तियाँ, शिलालेख आदि [[औरंगाबाद]] के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं। क्षेत्र में [[वर्ष|वर्षों]] पूर्व किये गए उत्खनन से पता चलता है कि सोपारा में [[बौद्ध]], [[जैन]] और [[हिन्दू धर्म]] स्थलों की बहुलता थी जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से अब लुप्त हो चली है। स्वर्गीय डा. भगवानलाल इन्द्र जी ने सन १८९८ में [[मुंबई]] के [[एशियाटिक सोसाइटी|रॉयल एशियाटिक सोसाइटी]] को सोपारा में बौद्ध स्तूप के अतिरिक्त कई हिन्दू मंदिरों के खंडहरों की जानकारी दी थी। | सोपारा गाँव में [[अशोक|सम्राट अशोक]] द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी में निर्मित [[स्तूप]] भी है। यह स्तूप [[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] द्वारा संरक्षित है। 'नाल' और 'सोपारा' दो अलग अलग गाँव थे। रेलवे लाइन के पूर्व की ओर 'नाल' है तो पश्चिम में 'सोपारा' गावँ है। वर्तमान में यह एक बड़ा शहर हो गया है। पुराने सोपारा गाँव के करीब चारों तरफ हरियाली और बहुत सारे पेड़ हैं। सापोरा स्तूप में [[बुद्ध]] और साथ ही किसी [[बौद्ध]] भिक्षु की मूर्ति भी थी। यहाँ से निकली मूर्तियाँ, शिलालेख आदि [[औरंगाबाद]] के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं। क्षेत्र में [[वर्ष|वर्षों]] पूर्व किये गए उत्खनन से पता चलता है कि सोपारा में [[बौद्ध]], [[जैन]] और [[हिन्दू धर्म]] स्थलों की बहुलता थी जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से अब लुप्त हो चली है। स्वर्गीय डा. भगवानलाल इन्द्र जी ने सन १८९८ में [[मुंबई]] के [[एशियाटिक सोसाइटी|रॉयल एशियाटिक सोसाइटी]] को सोपारा में बौद्ध स्तूप के अतिरिक्त कई हिन्दू मंदिरों के खंडहरों की जानकारी दी थी। | ||
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Revision as of 07:19, 8 September 2011
मुंबई के ठाणा ज़िले में 'सोपारा' नामक प्राचीन स्थान है। आजकल सोपारा दादर स्टेशन से वेस्टर्न सबर्बन रेलमार्ग पर लगभग 48 किलोमीटर दूर अंतिम पड़ाव 'विरार' से पहले पड़ता है।
सोपारा गाँव में सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी में निर्मित स्तूप भी है। यह स्तूप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। 'नाल' और 'सोपारा' दो अलग अलग गाँव थे। रेलवे लाइन के पूर्व की ओर 'नाल' है तो पश्चिम में 'सोपारा' गावँ है। वर्तमान में यह एक बड़ा शहर हो गया है। पुराने सोपारा गाँव के करीब चारों तरफ हरियाली और बहुत सारे पेड़ हैं। सापोरा स्तूप में बुद्ध और साथ ही किसी बौद्ध भिक्षु की मूर्ति भी थी। यहाँ से निकली मूर्तियाँ, शिलालेख आदि औरंगाबाद के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं। क्षेत्र में वर्षों पूर्व किये गए उत्खनन से पता चलता है कि सोपारा में बौद्ध, जैन और हिन्दू धर्म स्थलों की बहुलता थी जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से अब लुप्त हो चली है। स्वर्गीय डा. भगवानलाल इन्द्र जी ने सन १८९८ में मुंबई के रॉयल एशियाटिक सोसाइटी को सोपारा में बौद्ध स्तूप के अतिरिक्त कई हिन्दू मंदिरों के खंडहरों की जानकारी दी थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ