काकंदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 26: Line 26:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{तमिलनाडु के ऐतिहासिक स्थान}}
[[Category:तमिलनाडु]]
[[Category:तमिलनाडु]]
[[Category:चेन्नई]]
[[Category:चेन्नई]]

Revision as of 09:55, 11 October 2011

काकंदी दक्षिण भारत में चैन्नई के समीप स्थित एक प्राचीन बन्दरगाह था, जो ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में दूर-दूर तक प्रसिद्ध था।

  • काकंदी को वर्तमान में पुहार कस्बे से समीकृत किया जाता है।
  • विद्वानों का मत है कि पेरिप्लस में इसी को 'कमर' और टॉलमी के भूगोल में 'कबेरिस' कहा गया है।
  • जैन ग्रंथ 'अतकृतदशांग' में भी काकंदी का उल्लेख मिलता है।
  • तमिल अनुश्रुति के आधार पर काकंदी का बन्दरगाह समुद्र में जलमग्न होकर विलुप्त हो गया।
  • सम्भवतः यह घटना तीसरी सदी ईस्वी के प्रारंभिक वर्षों में हुई होगी।
  • पुहार[1] संगमकालीन चोलों की अनेक राजधानियों में से काकंदी एक प्रमुख स्थान था।
  • काकंदी बंदरगाह के विवरण संगम साहित्य में भरे पड़े हैं।
  • काकंदी नगर के आस-पास अनेक स्थानों से लगभग ई.पू. तीसरी शती से पाँचवी शती ई. तक आवासीय अवशेष प्रकाश में आए हैं।
  • ब्राह्मण धर्म से सम्बन्धित देवी-देवताओं के मंदिरों के अतिरिक्त यहाँ अनेक बौद्ध एवं जैन संस्थान भी थे।
  • प्रारंभिक चोल शासक करिकाल ने कावेरी के मुहाने पर पुहार के बन्दरगाह को दुर्ग बनवाकर सुरक्षित किया था।
  • यह भी ज्ञात होता है कि उसने इस कार्य में सिंहल (लंका) के युद्ध बन्दियों को लगाया था।
  • ईसा की पहली शताब्दी के तमिल ग्रंथ 'पट्टिनप्पालै' में पुहार का बड़ा सजीव वर्णन है। यह ज्ञात होता है कि आंतरिक व्यापार में चुंगी भी ली जाती थी।
  • अनधिकृत व्यापार की रोकथाम के लिए सड़कों पर सैनिकों द्वारा दिन-रात निगरानी रखी जाती थी।
  • काकंदी बन्दरगाह इतना सुविधाजनक था कि विदेशों से माल लेकर आने वाले बड़े जहाज पाल उतारे बिना ही तट पर आ जाते थे।
  • विदेशों से आने वाली बहुमूल्य सामग्री यहाँ गोदी में उतारी जाती थी।
  • विदेशी व्यापार के कारण काकंदी के निवासी काफी धनी हो गये थे।
  • इस नगर में अनेक ऊँचे और भव्य मकान थे। ये भवन कई मंजिलों वाले थे, जिनमें ऊपर तो धनी व्यापारियों के परिवार रहते थे और नीचे की मंजिल का उपयोग व्यापार के लिये होता था।
  • समुद्र तट पर खड़े व्यापारिक जहाजों पर ध्वज लहराते रहते थे। इनके साथ विभिन्न रंगों के झंडे भी होते थे, जो उन जहाजों पर लदे विशिष्ट प्रकार के माल तथा फैशनपरस्तों के लिए उपयोगी सामान का एक से विज्ञापन करते थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कावेरिप्पुम्पट्टिणम

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख