चौंतीसा (रमैनी): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कात्या सिंह (talk | contribs) (''''चौंतीसा भी रमैनी का एक रूप''' है। चौंतीसा भी [[बावनी (...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''चौंतीसा भी [[रमैनी]] का एक रूप''' है। चौंतीसा भी [[बावनी (रमैनी)|बावनी]] की पद्धति का काव्य रूप है। इसकी रचना [[स्वर (व्याकरण)|स्वरों]] को छोड़कर की जाती है। ग्यान चौंतीसा में [[चौपाई|चौपाई छन्द]] का व्यवहार किया गया है, किन्तु सर्वत्र उसका शुद्ध रूप उपलब्ध नहीं होता है।<ref>{{cite book | last =शर्मा | first =रामकिशोर| title =कबीर ग्रन्थावली| edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =100| chapter =}}</ref> | '''चौंतीसा भी [[रमैनी]] का एक रूप''' है। चौंतीसा भी [[बावनी (रमैनी)|बावनी]] की पद्धति का काव्य रूप है। इसकी रचना [[स्वर (व्याकरण)|स्वरों]] को छोड़कर की जाती है। ग्यान चौंतीसा में [[चौपाई|चौपाई छन्द]] का व्यवहार किया गया है, किन्तु सर्वत्र उसका शुद्ध रूप उपलब्ध नहीं होता है।<ref>{{cite book | last =शर्मा | first =रामकिशोर| title =कबीर ग्रन्थावली| edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =100| chapter =}}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार= | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
Line 7: | Line 7: | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{कबीर}}{{रमैनी}} | |||
[[Category: | [[Category:व्याकरण]][[Category:रमैनी]][[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कबीर]][[Category:काव्य कोश]] | ||
[[Category: | |||
[[Category:पद्य साहित्य]] | |||
[[Category: | |||
[[Category: | |||
[[Category: | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Revision as of 06:16, 1 December 2011
चौंतीसा भी रमैनी का एक रूप है। चौंतीसा भी बावनी की पद्धति का काव्य रूप है। इसकी रचना स्वरों को छोड़कर की जाती है। ग्यान चौंतीसा में चौपाई छन्द का व्यवहार किया गया है, किन्तु सर्वत्र उसका शुद्ध रूप उपलब्ध नहीं होता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शर्मा, रामकिशोर कबीर ग्रन्थावली (हिंदी), 100।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख