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-दसमार
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{[[छत्तीसगढ़]] की कौन-सी जनजाति 'मेघनाथ पर्व' मनाती है?
{'मामा-भांजा मन्दिर' [[छत्तीसगढ़]] में कहाँ स्थित है?
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+[[गोंड]]
-रतनपुर में
-बैगा
+[[बरसुर]] में
-[[रिजले]]
-रामगढ़ में
-कमार
-[[चांपा]] में
||गोंड जनजाति की लगभग 60 प्रतिशत आबादी [[मध्य प्रदेश]] में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग संकलन, [[आन्ध्र प्रदेश]] एवं [[उड़ीसा]] में बसा हुआ है। [[गोंड]] जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा ज़िला|छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]
||[[चित्र:Ganesh-Temple-Barsur.jpg|right|100px|गणेश मन्दिर, बरसुर]][[बरसुर]] [[छत्तीसगढ़]] राज्य के दन्तेवाड़ा ज़िले में स्थित है। मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है। बरसुर में 'मामा-भांजा', 'चन्द्रादित्य', 'बत्तीसा' और 'भगवान [[गणेश]]' के भी मन्दिर आकर्षण का केंद्र हैं। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरसुर]]


{'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है?
{'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है?
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-[[कवर्धा ज़िला|कवर्धा]]
-[[कवर्धा ज़िला|कवर्धा]]
-[[सरगुजा ज़िला|सरगुजा]]
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||[[छत्तीसगढ़]] राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। यहाँ गोंडों की संख्या अधिक है। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ [[गोदावरी नदी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। [[बालाघाट ज़िला|बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]], [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी यह जाति उपस्थित हैं। [[उड़ीसा]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]
||[[चित्र:Bastar-District-Map.jpg|right|140px|बस्तर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। यहाँ गोंडों की संख्या अधिक है। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ [[गोदावरी नदी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। [[बालाघाट ज़िला|बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]], [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी यह जाति उपस्थित हैं। [[उड़ीसा]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]


{[[छत्तीसगढ़]] में सर्वप्रथम किसके नाम पर शासकीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी?
{[[छत्तीसगढ़]] में सर्वप्रथम किसके नाम पर शासकीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी?
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-[[कोरबा ज़िला|कोरबा]]  
-[[कोरबा ज़िला|कोरबा]]  
-[[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा]]
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{[[छत्तीसगढ़]] की कौन-सी जनजाति 'मेघनाथ पर्व' मनाती है?
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+[[गोंड]]
-बैगा
-[[रिजले]]
-कमार
||गोंड जनजाति की लगभग 60 प्रतिशत आबादी [[मध्य प्रदेश]] में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग संकलन, [[आन्ध्र प्रदेश]] एवं [[उड़ीसा]] में बसा हुआ है। [[गोंड]] जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा ज़िला|छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]


{विश्व का सबसे विशाल [[शिवलिंग]] [[छत्तीसगढ़]] की किस तहसील में है?
{विश्व का सबसे विशाल [[शिवलिंग]] [[छत्तीसगढ़]] की किस तहसील में है?
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-नलवंश काल में
-नलवंश काल में
+फणिनागवंश काल में
+फणिनागवंश काल में
-[[कलचुरी वंश|]] काल में
-[[कलचुरी वंश]] काल में
-[[नंद वंश]] काल में
-[[नंद वंश]] काल में


{'मामा-भांजा मन्दिर' [[छत्तीसगढ़]] में कहाँ स्थित है?
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-रतनपुर में
+[[बरसुर]] में
-रामगढ़ में
-[[चांपा]] में
||[[चित्र:Ganesh-Temple-Barsur.jpg|right|100px|गणेश मन्दिर, बरसुर]][[बरसुर]] [[छत्तीसगढ़]] राज्य के दन्तेवाड़ा ज़िले में स्थित है। मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है। बरसुर में 'मामा-भांजा', 'चन्द्रादित्य', 'बत्तीसा' और 'भगवान [[गणेश]]' के भी मन्दिर आकर्षण का केंद्र हैं। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरसुर]]
{किस [[वेद]] में [[छत्तीसगढ़]] का वर्णन नहीं है?
{किस [[वेद]] में [[छत्तीसगढ़]] का वर्णन नहीं है?
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Revision as of 12:22, 14 February 2012

छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान

1 छत्तीसगढ़ राज्य के किस ज़िले में धनवार जनजाति पायी जाति है?

रायपुर
बिलासपुर
दुर्ग
कोरबा

2 कोरकू जनजाति में मृत्यु-संस्कार को क्या कहा जाता है?

दमनच
नवाधानी
कुंमारी
दसमार

3 'मामा-भांजा मन्दिर' छत्तीसगढ़ में कहाँ स्थित है?

रतनपुर में
बरसुर में
रामगढ़ में
चांपा में

4 'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है?

कमार
गोंड
मुड़िया
माड़िया

5 छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की 'ठुकू' प्रथा क्या है?

एक पति को त्यागकर दूसरा पति रखना
पुनर्विवाह करना
बाल विवाह करना
रखनी प्रथा

6 छत्तीसगढ़ में गोंड जनजाति का सर्वाधिक केंद्रण किस ज़िले में पाया जाता है?

बिलासपुर
बस्तर
कवर्धा
सरगुजा

7 छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम किसके नाम पर शासकीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी?

गुरु घासीदास पुरस्कार
शहीद वीर नारायण सिंह
पंडित सुंदरलाल शर्मा पुरस्कार
पंडित रविशंकर पुरस्कार

8 छत्तीसगढ़ में 'खल्लारी का मेला' कहाँ लगता है?

महासमुन्द
बिलासपुर
कोरबा
दन्तेवाड़ा

9 छत्तीसगढ़ की कौन-सी जनजाति 'मेघनाथ पर्व' मनाती है?

गोंड
बैगा
रिजले
कमार

10 विश्व का सबसे विशाल शिवलिंग छत्तीसगढ़ की किस तहसील में है?

अभनपुर
गरियाबंद
कवर्धा
कोरिया

11 भोरमदेव मंदिर का निर्माण किस काल में हुआ था?

नलवंश काल में
फणिनागवंश काल में
कलचुरी वंश काल में
नंद वंश काल में

13 छत्तीसगढ़ में संत घासीदास की जन्म-स्थली कौन-सी है?

अम्बिकापुर
दामाखेड़ा
गिरौदपुरी
पलारी

14 सरगुजा, कोरियाजशपुर ज़िले आज़ादी से पूर्व किस प्रांत में थे?

बंगाल
महाराष्ट्र
उड़ीसा
बिहार