पावापुरी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 13: Line 13:


==फ़ाज़िलपुर==
==फ़ाज़िलपुर==
कालाईल ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है। <ref>ऐशेंट ज्याग्रेफी ऑव इंडिया पृष्ठ 714</ref> जैन ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार महावीर ने पावा में एक वर्षकाल बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है।  
कालाईल ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है। <ref>ऐशेंट ज्याग्रेफी ऑव इंडिया पृष्ठ 714</ref> जैन ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार महावीर ने पावा में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है।
 
==पर्यटन==
==पर्यटन==
यहाँ कमल तालाब के बीच [[जल मंदिर]] विश्व प्रसिद्ध है। [[सोमशरण मंदिर]], [[मोक्ष मंदिर]] और [[नया मन्दिर]] भी दर्शनीय हैं।  
यहाँ कमल तालाब के बीच [[जल मंदिर]] विश्व प्रसिद्ध है। [[सोमशरण मंदिर]], [[मोक्ष मंदिर]] और [[नया मन्दिर]] भी दर्शनीय हैं।  

Revision as of 06:06, 28 May 2010

स्थिति

बिहारशरीफ़ से 8 किमी दक्षिण-पूर्व पावापुरी जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहीं जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी ने निर्वाण प्राप्त किया था। पटना से 104 किमी. और नालन्दा से 25 किमी दूरी पर स्थित है। यहां का जल मन्दिर, मनियार मठ तथा वेनुवन दर्शनीय स्थल हैं। स्मिथ के अनुसार पावापुरी ज़िला पटना (बिहार) में स्थित है।

प्राचीन नाम

13वीं शती ई. में जिनप्रभसूरी ने अपने ग्रंथ विविध तीर्थ कल्प रूप में इसका प्राचीन नाम अपापा बताया है। पावापुरी का अभिज्ञान बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन (बिहार) से 9 मील पर स्थित पावा नामक स्थान से किया गया है। यह स्थान राजगृह से दस मील दूर है। महावीर के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक यहाँ खंडहर के रूप में स्थित है। स्तूप से प्राप्त ईटें राजगृह के खंडहरों की ईंटों से मिलती-जुलती हैं। जिससे दोनों स्थानों की समकालीनता सिद्ध होती है।

कर्निघम, ऐशेंट ज्याग्रेफी ऑव इंडिया[1] के मत में जिसका आधार शायद बुद्धचरित[2] में कुशीनगर के ठीक पूर्व की ओर पावापुरी की स्थिति का उल्लेख है, कसिया जो प्राचीन कुशीनगर के नाम से विख्यात है, से 12 मील दूर पदरौना नामक स्थान ही पावा है। जहाँ गौतम बुद्ध के समय मल्ल-क्षत्रियों की राजधानी थी।

उब्भटक

महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में अपापा के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। उस दिन कार्तिक की अमावस्या थी। पालीग्रंथ संगीतिसुत्तंत में पावा के मल्लों के उब्भटक नामक सभागृह का उल्लेख है।

अंतिम समय

जीवन के अंतिम समय में तथागत ने पावापुरी में ठहरकर चुंड का सूकर-माद्दव नाम का भोजन स्वीकार किया था। जिसके कारण अतिसार हो जाने से उनकी मृत्यु कुशीनगर पहुँचने पर हो गई थी। बुद्धचरित[3]

फ़ाज़िलपुर

कालाईल ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है। [4] जैन ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार महावीर ने पावा में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है।

पर्यटन

यहाँ कमल तालाब के बीच जल मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। सोमशरण मंदिर, मोक्ष मंदिर और नया मन्दिर भी दर्शनीय हैं।

टीका-टिप्पणी

  1. ऐशेंट ज्याग्रेफी आफ इंडिया पृष्ठ 49
  2. बुद्धचरित 25, 52
  3. बुद्धचरित 25,50
  4. ऐशेंट ज्याग्रेफी ऑव इंडिया पृष्ठ 714