दिल्ली की वनस्पति: Difference between revisions

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*दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं।  
*दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं।  
*दिल्ली में [[वर्षा]] की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता।  
*दिल्ली में [[वर्षा]] की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक [[वनस्पति]] का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता।  
*[[भारत के पुष्प|फूलों]] के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है।  
*[[भारत के पुष्प|फूलों]] के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है।  
*दिल्ली की वनस्पति दिल्ली के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है।  
*दिल्ली की वनस्पति दिल्ली के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है।  
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  • दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं।
  • दिल्ली में वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता।
  • फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है।
  • दिल्ली की वनस्पति दिल्ली के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है।
  • स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं।
  • दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।



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