दशपुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:मध्य प्रदेश (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
'''दशपुर''' गुप्त कालीन [[भारत]] का [[मालवा]] सम्भाग का प्राचीन नगर है, जिसे आधुनिक [[मध्य प्रदेश]] के 'मंदसौर' नगर से समीकृत किया जाता है। यह स्थल क्षिप्रा की एक सहायक नदी सिवन के तट पर स्थित था। आस-पास के लोगों द्वारा दशपुर को आज भी 'दसौर' कहा जाता है। 'पेरिप्लस ऑफ़ एरिथ्रियन सी' में दशपुर को 'मिन्नगल' कहा गया है। [[कालिदास]] ने '[[मेघदूत]]' में इसकी स्थिति [[उज्जयिनी]] के पश्चात और [[चम्बल नदी]] के उत्तर में बतायी है, जो वर्तमान मंदसौर की स्थिति से मेल खाती है। पूर्वकालीन [[सातवाहन|सातवाहनों]] ने [[शक]] शासक [[नहपान]] के अधिकार से दशपुर सहित कुछ अन्य स्थान छीन लिये थे। नहपान के समय दशपुर में अनेक लोकोपयोगी कार्य किये गये थे। [[कुमारगुप्त द्वितीय]] के शासनकाल का प्रसिद्ध [[अभिलेख]] (472 ई.) दशपुर से प्राप्त हुआ है, जिसमें लाट देश के रेशम के व्यापारियों का दशपुर में आकर बस जाने का वर्णन हैं। कुमारगुप्त द्वितीय ने दशपुर में एक सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया था। इस लेख से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुप्तों के समय इस नगर की पश्चिमी मालवा के एक प्रमुख नगर के रूप में ख्याति थी। दशपुर नगर के मकान धवल, बहुत ऊँचे तथा कई तल्लों के बने हुए थे। मंदसौर में [[गुप्त काल]] के अनेक मन्दिरों के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं। पाँचवीं शताब्दी में यहाँ के शासक [[यशोवर्मन]] द्वारा [[हूण]] आक्रांता [[मिहिरकुल]] को परास्त किया गया था।
*दशपुर गुप्तकालीन [[भारत]] का मालवा सम्भाग का प्राचीन नगर है, जिसे आधुनिक [[मध्य प्रदेश]] के मन्दसौर नगर से समीकृत किया जाता है।  
*यह स्थल क्षिप्रा की एक सहायक नदी सिवन के तट पर स्थित था। आस-पास के लोगों द्वारा दशपुर को आज भी दसौर कहा जाता है। ''पेरिप्लस ऑव एरिथ्रियन सी'' में दशपुर को मिन्नगल कहा गया है।  
*[[कालिदास]] ने मेघदूत में इसकी स्थिति उज्जयिनी के पश्चात और [[चम्बल नदी]] के उत्तर में बतायी है, जो वर्तमान मन्दसौर की स्थिति से मेल खाती है।  
*पूर्वकालीन सातवाहनों ने शक शासक नहपान के अधिकार से दशपुर सहित कुछ अन्य स्थान छीन लिये थे।  
*नहपान के समय दशपुर में अनेक लोकोपयोगी कार्य किये गये थे।  
*[[कुमारगुप्त द्वितीय]] के शासनकाल का प्रसिद्ध अभिलेख (472 ई.) दशपुर से प्राप्त हुआ है, जिसमें लाट देश के रेशम के व्यापारियों का दशपुर में आकर बस जाने का वर्णन हैं।  
*कुमारगुप्त द्वितीय ने दशपुर में एक सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया। इस लेख से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुप्तों के समय इस नगर की पश्चिमी मालवा के एक प्रमुख नगर के रूप में ख्याति थी।  
*दशपुर नगर के मकान धवल, बहुत ऊँचे तथा कई तल्लों के बने हुए थे।  
*मन्दसौर में गुप्तकाल के अनेक मन्दिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। पाँचवीं शताब्दी में यहाँ के शासक [[यशोवर्मन]] द्वारा हूण आक्रांता मिहिरकुल को परास्त किया गया।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 14: Line 5:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:गुप्त काल]]
[[Category:गुप्त काल]]
Line 22: Line 11:
[[Category:मध्य प्रदेश]]
[[Category:मध्य प्रदेश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 05:48, 22 May 2012

दशपुर गुप्त कालीन भारत का मालवा सम्भाग का प्राचीन नगर है, जिसे आधुनिक मध्य प्रदेश के 'मंदसौर' नगर से समीकृत किया जाता है। यह स्थल क्षिप्रा की एक सहायक नदी सिवन के तट पर स्थित था। आस-पास के लोगों द्वारा दशपुर को आज भी 'दसौर' कहा जाता है। 'पेरिप्लस ऑफ़ एरिथ्रियन सी' में दशपुर को 'मिन्नगल' कहा गया है। कालिदास ने 'मेघदूत' में इसकी स्थिति उज्जयिनी के पश्चात और चम्बल नदी के उत्तर में बतायी है, जो वर्तमान मंदसौर की स्थिति से मेल खाती है। पूर्वकालीन सातवाहनों ने शक शासक नहपान के अधिकार से दशपुर सहित कुछ अन्य स्थान छीन लिये थे। नहपान के समय दशपुर में अनेक लोकोपयोगी कार्य किये गये थे। कुमारगुप्त द्वितीय के शासनकाल का प्रसिद्ध अभिलेख (472 ई.) दशपुर से प्राप्त हुआ है, जिसमें लाट देश के रेशम के व्यापारियों का दशपुर में आकर बस जाने का वर्णन हैं। कुमारगुप्त द्वितीय ने दशपुर में एक सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया था। इस लेख से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुप्तों के समय इस नगर की पश्चिमी मालवा के एक प्रमुख नगर के रूप में ख्याति थी। दशपुर नगर के मकान धवल, बहुत ऊँचे तथा कई तल्लों के बने हुए थे। मंदसौर में गुप्त काल के अनेक मन्दिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। पाँचवीं शताब्दी में यहाँ के शासक यशोवर्मन द्वारा हूण आक्रांता मिहिरकुल को परास्त किया गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख