कवितावली (पद्य)-अरण्य काण्ड: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको य...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको यह दिखेगा कि लेख बनकर कैसा लगेगा -->
[[चित्र:{{PAGENAME}}|thumb|{{PAGENAME}} लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें]]
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
'''आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''
   
   
[[चित्र:Kavitawali.JPG|right|thumb|250px|कवितावली]]
[[चित्र:Kavitawali.JPG|right|thumb|250px|कवितावली]]
*[[कवितावली (पद्य)-अयोध्या काण्ड|पीछे पढें ]]  
*[[कवितावली (पद्य)-अयोध्या काण्ड|पीछे पढें ]]  
==अरण्य काण्ड==
==अरण्य काण्ड==
<poem style="font-size:larger; color:#990099">  
<poem style="font-size:larger; color:#990099">  
मारीचानुधावन
</poem>  
</poem>  
 
==मारीचानुधावन==
<poem style="font-size:larger; color:#990099">  
<poem style="font-size:larger; color:#990099">  
(मारीचानुधावन)
(मारीचानुधावन)


Line 25: Line 17:
हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।
हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।


(इति अरण्य काण्ड )
</poem>  
</poem>  


(इति अरण्य काण्ड )
</poem>
*[[कवितावली (पद्य)-किष्किन्धा काण्ड|आगे पढें ]]  
*[[कवितावली (पद्य)-किष्किन्धा काण्ड|आगे पढें ]]  
{{seealso|कवितावली -तुलसीदास}}
{{seealso|कवितावली -तुलसीदास}}
Line 42: Line 33:
[[Category:तुलसीदास]]
[[Category:तुलसीदास]]
__NOTOC__
__NOTOC__
__INDEX__
==शीर्षक उदाहरण 1==
===शीर्षक उदाहरण 2===
====शीर्षक उदाहरण 3====
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
[[Category:नया पन्ना सितम्बर-2012]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 15:22, 14 September 2012

right|thumb|250px|कवितावली

अरण्य काण्ड

 

मारीचानुधावन

 
(मारीचानुधावन)

पंचबटीं बर पर्नकुटी तर बैठे हैं रामु सुभायँ सुहाए।

सोहै प्रिया, प्रिय बंधु लसै ‘तलसी’ सब अंग घने छबि छाए।।
 
देखि मृगा मृगनैनी कहे प्रिय बेन, ते प्रीतम के मन भाए।

हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।

(इति अरण्य काण्ड )

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख