कवितावली (पद्य)-अरण्य काण्ड: Difference between revisions
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हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।। | हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।। | ||
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Revision as of 15:22, 14 September 2012
अरण्य काण्ड
मारीचानुधावन
(मारीचानुधावन)
पंचबटीं बर पर्नकुटी तर बैठे हैं रामु सुभायँ सुहाए।
सोहै प्रिया, प्रिय बंधु लसै ‘तलसी’ सब अंग घने छबि छाए।।
देखि मृगा मृगनैनी कहे प्रिय बेन, ते प्रीतम के मन भाए।
हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।
(इति अरण्य काण्ड )
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख