डिम्पल यादव: Difference between revisions
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==राजनैतिक रिकार्ड== | |||
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==उत्तर प्रदेश के उप चुनाव के आँकड़े== | |||
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==दो दशक बाद लोकसभा चुनाव में निर्विरोध== | |||
यह 31 वां अवसर है जबकि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। इससे पहले [[1989]] नेशनल कांफ्रेस के मो. शफी बट [[श्रीनगर]] से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। लगभग दो दशक बाद देश में कोई निर्विरोध चुना गया है। आजादी के बाद [[1951]] में हुए देश के पहले चुनाव में पांच प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद [[1952]] में हुए उप चुनाव में [[इलाहाबाद|इलाहाबाद पश्चिम]] में [[कांग्रेस]] के [[पुरुषोत्तम दास टंडन]] निर्विरोध जीते। [[1962]] में टिहरी गढ़वाल से वहां के राजा मानवेंद्रशाह ने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके मुकाबले कोई प्रत्याशी आगे नहीं आया। इस चुनाव में [[भारतीय जनसंघ|जनसंघ]] के रंगीलाल ने परचा भरा था लेकिन वापस ले लिया था। इससे पहले हुए चुनाव में [[बीकानेर]] के पूर्व महाराजा और निशानेबाज करणी सिंह भी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। 1962 में ही [[उड़ीसा]] में [[मुख्यमंत्री|पूर्व मुख्यमंत्री]] हरेकृष्ण मेहताब को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।<ref>{{cite web |url=http://yadukul.blogspot.in/2012/06/blog-post_09.html|title=डिंपल यादव ने रचा इतिहास:निर्विरोध बनी सांसद|accessmonthday=4 दिसम्बर|accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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Revision as of 08:24, 4 December 2012
डिम्पल यादव
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पूरा नाम | डिम्पल यादव |
जन्म | 1978 |
जन्म भूमि | पुणे |
पति/पत्नी | अखिलेश यादव |
संतान | अदिति, अर्जुन और टीना |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | समाजवादी पार्टी |
अन्य जानकारी | डिम्पल यादव 2012 के उपचुनाव में कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गईं। |
अद्यतन | 12:27, 4 दिसम्बर 2012 (IST)
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डिम्पल यादव (अंग्रेज़ी: Dimple Yadav) समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधान मण्डल दल के नेता व उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं जो कि 2012 के उपचुनाव में कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गईं।
जीवन परिचय
1978 में पुणे में आर्मी कर्नल एस.सी.रावत के घर जन्मीं डिम्पल की शुरुआती पढ़ाई पुणे में हुई। कर्नल रावत उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के मूल निवासी हैं और वर्तमान में वहीं रह रहे हैं। डिम्पल की दो और बहनें हैं। इंटरमीडिएट के बाद डिम्पल यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ह्यूमेनिटीज़ में अपना स्नातक किया। इसी समय अखिलेश यादव से उनकी मित्रता हुई और फिर प्रेम। उस समय अखिलेश मरीन इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया से लौटे थे। विवाह के बाद डिंपल गृहणी बन गईं और अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में सक्रिय हो गये। डिंपल और अखिलेश के तीन बच्चे हैं- अदिति, अर्जुन और टीना, जिनमें अर्जुन और टीना जुड़वां हैं।[1]
परिवार
अखिलेश यादव के काम में व्यस्त होने के कारण पत्नी व कन्नौज से सांसद डिंपल यादव बच्चों के लिये समय निकाल लेती हैं।[2]
राजनीतिक सफर
12 जून , 2012 को डिंपल यादव को संसद का टिकट मिल गया, अब उनकी असली राजनीतिक पारी शुरू हो चुकी है। हालांकि इससे पहले भी उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत फिरोजाबाद संसदीय सीट से आजमायी थी। वह सीट भी अखिलेश ने छोड़ी थी, जिस पर फ़िल्म अभिनेता राज बब्बर जीते थे। खैर पिछली हार जैसी भी रही हो, इस बार की जीत किसी बड़ी जीत से कम नहीं, क्योंकि वो किसी भी पार्टी ने उनके विरुद्ध प्रत्याशी उतारने की हिम्मत नहीं की और वो निर्विरोध जीतीं। डिम्पल यादव ने जनता के समक्ष पारदर्शिता दिखाते हुए पति के मुख्यमंत्री बनते ही अपनी संपत्ति की घोषणा की। यही नहीं राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का ब्योरा अपलोड किया। मार्च 2012 में उनके पास 59.76 लाख के जेवर थे, लखनऊ में 41 लाख और 39.75 लाख रुपए की संपत्तियां हैं। साथ ही उनके बैंक अकाउंट में 79.66 लाख और दूसरे अकाउंट में 2 लाख रुपए थे। साथ ही उन्होंने 15 लाख रुपए निवेश किये हैं।[1]
राजनैतिक रिकार्ड
डिंपल यादव प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं जिनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। यह संयोग भी एक रिकार्ड के रूप में ही देखा जाएगा कि डिंपल जिस लोकसभा के लिए चुनाव हारीं, उसी में निर्विरोध जीतकर पहुंचेंगी। यह तथ्य भी विशिष्टता लिए हुए हैं कि वह ऐसी सांसद हैं जिनके पति मुख्यमंत्री हैं। लोकसभा में उनके साथ श्वसुर व देवर भी होंगे।[3]
उत्तर प्रदेश के उप चुनाव के आँकड़े
टिहरी में जीते मानवेंद्र शाह को यदि उत्तराखंड में मान लिया जाए तो प्रदेश मे 60 साल बाद यह अवसर आया है जबकि लोकसभा का चुनाव कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। एक संयोग ही है कि इससे पहले 1952 में पी.डी.टंडन भी उप चुनाव में ही जीते थे। डिंपल की जीत भी उप चुनाव में ही हुई है। देश में उप चुनाव के दौरान निर्विरोध जीतने वाले लोगों की संख्या डिंपल को मिलाकर 9 है। 22 उम्मीदवार सामान्य चुनावों में जीते हैं।[4]
दो दशक बाद लोकसभा चुनाव में निर्विरोध
यह 31 वां अवसर है जबकि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। इससे पहले 1989 नेशनल कांफ्रेस के मो. शफी बट श्रीनगर से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। लगभग दो दशक बाद देश में कोई निर्विरोध चुना गया है। आजादी के बाद 1951 में हुए देश के पहले चुनाव में पांच प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद 1952 में हुए उप चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम में कांग्रेस के पुरुषोत्तम दास टंडन निर्विरोध जीते। 1962 में टिहरी गढ़वाल से वहां के राजा मानवेंद्रशाह ने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके मुकाबले कोई प्रत्याशी आगे नहीं आया। इस चुनाव में जनसंघ के रंगीलाल ने परचा भरा था लेकिन वापस ले लिया था। इससे पहले हुए चुनाव में बीकानेर के पूर्व महाराजा और निशानेबाज करणी सिंह भी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। 1962 में ही उड़ीसा में पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण मेहताब को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 कन्नौज की नई सांसद डिंपल यादव का प्रोफाइल (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वनइंडिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
- ↑ क्या हुआ जब डिंपल भाभी पहुंची चिड़ियाघर (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वनइंडिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
- ↑ डिंपल यादव ने रचा इतिहास:निर्विरोध बनी सांसद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
- ↑ डिंपल यादव ने रचा इतिहास:निर्विरोध बनी सांसद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
- ↑ डिंपल यादव ने रचा इतिहास:निर्विरोध बनी सांसद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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