वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions
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Revision as of 09:52, 5 April 2013
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वैदेही वनवास अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। इसका प्रकाशन 'प्रियप्रवास' के प्रकाशन के कोई 26 वर्ष बाद 1940 ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत खड़ीबोली के इस दूसरे प्रबन्ध काव्य में रामकथा के वैदेही वनवास प्रसंग को आधार बनाया गया है और करुण रस की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की भाषा अपनायी है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 583।
बाहरी कड़ियाँ
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