केरल का भूगोल: Difference between revisions

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Revision as of 10:54, 2 May 2013

केरल का भूगोल
राजधानी तिरुवनन्तपुरम
राजभाषा(एँ) मलयालम भाषा
स्थापना 1 नवंबर, 1956
जनसंख्या 3,33,87,677[1]
· घनत्व 859[1] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 38,863 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 8.5074°N 76.972 °E
· ग्रीष्म 36.7 °C
· शरद 19.8 °C
ज़िले 14[1]
मुख्य पर्यटन स्थल कोवलम, बेकल, मुन्नार, कन्नूर
लिंग अनुपात 1000:1,084[1] ♂/♀
साक्षरता 93.91 [1]%
· स्त्री 91.98%
· पुरुष 96.02%
राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज[1]
मुख्यमंत्री ओमन चांडी[1]
लोकसभा क्षेत्र 20[1]
राज्यसभा सदस्य 9[1]
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट

केरल के पूर्व में ऊंचे पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर के मध्य में स्थित इस प्रदेश की चौड़ाई 35 कि. मी. से 120 कि. मी. तक है। भौगोलिक दृष्टि से केरल पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों, मध्‍यवर्ती मैदानों तथा समुद्र का तटवर्ती क्षेत्र हैं। केरल नदियों और तालाबों के सम्बंध में बहुत ही समृद्ध है। केरल में 44 नदियां बहती हैं जिनमें 41 नदियाँ पश्चिम की ओर और तीन पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। ये नदियाँ अपनी सहायक नदियों और उपधाराओं के साथ केरल की प्राकृतिक संपदा को बढ़ाती हैं। समुद्री झीलें केरल का मुख्य आकर्षण हैं। आर्थिक दृष्टि से भी प्राकृतिक संसाधन बहुत म‍हत्‍वपूर्ण हैं। उत्तरी केरल राज्य के एक अंत:क्षेत्र दक्षिण भारत में माहि नगर स्थित है।

भौगोलिक स्थिति

पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में 500-2700 मीटर ऊंचे पश्चिमी घाट और 44 नदियों के संजाल के साथ केरल विविध भौगोलिक विशेषताओं का आनन्द उठाता है। ऊंचे पर्वत और गहरी घाटियों से लेकर अनंत पश्चजल (बैकवाटर) और विस्तृत तटरेखाओं से केरल समृद्ध है। केरल को 'खुदा का अपना घर' कहकर जो विज्ञापन दिया जाता है यह कोई अत्युक्ति नहीं है। केरल को आकर्षण का केन्द्र बनाने वाले जो तत्त्व हैं वे हैं मौसम - गर्मी और समृद्ध वर्षा, सुन्दर प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बा समुद्रतट और चालीस से अधिक नदियाँ। भौगोलिक दृष्टि से केरल उत्तर अक्षांश 8 डिग्री 17' 30" और 12 डिग्री 47' 40" के बीच तथा पूर्व रेखांश 74 डिग्री 7' 47" और 77 डिग्री 37' 12" के बीच स्थित है। सह्याद्रि तथा अरब सागर के बीच एक हरित मेखला की भाँति केरल सुन्दर लगता है। केरल की उत्पत्ति को लेकर जो परशुराम-कथा चलती है वह प्रसिद्ध है। किंवदन्ती है कि परशुराम जो महाविष्णु के दशावतारों में एक है, ने अपना फरसा फेंककर समुद्र से जो स्थल बनाया वही केरल है। Error on call to Template:cite web: Parameters url and title must be specified। ।

विभाजन

भौगोलिक प्रकृति के आधार पर केरल को अनेक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। मलनाडु, इटनाडु, समुद्र तटीय क्षेत्र का जो सामान्य विभाजन है वही सर्वाधिक प्रचलित है। अधिक स्पष्टता की दृष्टि से जो विभाजन किया गया है वह इस प्रकार है - पूर्वी मलनाड, अडिवारम (तराई) ऊंचा पहाडी क्षेत्र, पालक्काड सुरंग, तृश्शूर - कांजंगाड समतल, एरणाकुलम - तिरुवनन्तपुरम रोलिंग समतल और पश्चिमी तटीय समतल। मलनाडु अथवा पूर्वी मलनाडु सह्याद्रि से जुड़कर दक्षिण - उत्तर होकर पड़ा है। इस क्षेत्र के अधिकांश भागों में हिंस्र पशुओं से भरा बीहड वन है। यहाँ गरम क्षेत्र में पाये जाने वाले नित्य हरित वन हैं और साथ ही छायादार वन भी है। केरल की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थान भी मलनाड ही है। सर्वाधिक प्रसिद्ध नित्य हरित वन सैलन्टवेली है जो पालक्काड जिले के मण्णार्काड के पास है। सैलन्टवेली तथा इरविकुलम दोनों राष्ट्रीय उद्यान हैं। केरल का सबसे ऊँचा पर्वत श्रृंग आनामुडी (2695 मीटर) है । अगस्त्यकूट केरल के दक्षिणी छोर का सबसे ऊँचा श्रृंग (1869 मीटर) है। दक्षिण से उत्तर की ओर फैला हुआ पश्चिमी समुद्र तटीय समतल सह्याद्रि के समानान्तर ही पडा है। मलनाडु और तटीय क्षेत्र के बीच में इटनाडु पाया जाता है। यहाँ की भौगोलिक प्रकृति में पहाड़ और समतल मिलते हैं।

केरल की जलवायु

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

केरल राज्य में गर्म मौसम है क्योंकि यह भूमध्यरेखा से मात्र 8 डिग्री के अंतराल पर स्थित है। केरल राज्य की जलवायु की मुख्य विशेषता है- शीतल मन्द हवा और भारी वर्षा

नदियाँ और झीलें

केरल को जलसमृद्ध बनाने वाली 41 नदियाँ पश्चिमी दिशा में स्थित समुद्र अथवा झीलों में जा मिलती हैं। इनके अतिरिक्त पूर्वी दिशा की ओर बहती तीन नदियाँ हैं, कई झीलें और नहरें भी हैं।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 1.7 1.8 Kerala at a Glance (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) केरल की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 मई, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख