राम नाम सौं दिल मिला -कबीर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 30: | Line 30: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
राम नाम सौं दिल मिला, जम सों परा दुराइ। | |||
मोहि भरोसा इष्ट का, बंदा नरक न जाइ॥ | मोहि भरोसा इष्ट का, बंदा नरक न जाइ॥ | ||
</poem> | </poem> |
Latest revision as of 14:55, 10 January 2014
| ||||||||||||||||||||
|
राम नाम सौं दिल मिला, जम सों परा दुराइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! मेरा हृदय रामनाम से युक्त है। अब यमराज मेरा कुछ नहीं कर सकता। उसके अधिकार से मैं अलग हो गया हूँ। मुझे अपने इष्टदेव का पूरा भरोसा है। उनका भक्त कभी नरक में नहीं जा सकता।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख