राम नाम सौं दिल मिला -कबीर: Difference between revisions

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राँम नाँम सौं दिल मिला, जम सों परा दुराइ।
राम नाम सौं दिल मिला, जम सों परा दुराइ।
मोहि भरोसा इष्ट का, बंदा नरक न जाइ॥
मोहि भरोसा इष्ट का, बंदा नरक न जाइ॥
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Latest revision as of 14:55, 10 January 2014

राम नाम सौं दिल मिला -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

राम नाम सौं दिल मिला, जम सों परा दुराइ।
मोहि भरोसा इष्ट का, बंदा नरक न जाइ॥

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! मेरा हृदय रामनाम से युक्त है। अब यमराज मेरा कुछ नहीं कर सकता। उसके अधिकार से मैं अलग हो गया हूँ। मुझे अपने इष्टदेव का पूरा भरोसा है। उनका भक्त कभी नरक में नहीं जा सकता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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