सलीम चिश्ती: Difference between revisions

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सलीम चिश्ती अजमेर के ख्वाज़ा मुईनुद्दीन् चिश्ती के पौत्र थे । जब बादशाह [[अकबर]] द्वारा संतान प्राप्ति की दिशा में किए गए सभी प्रयास निष्फल रहे तो वह स्वप्न में आए निर्देश के मुताबिक़ बाबा सलीम चिश्ती के पास आए । उन्हीं के आशीर्वाद से अकबर को महारानी जोधाबाई से पुत्र प्राप्ति हुई और बाबा के नाम पर उसका नाम भी सलीम रखा गया । बाबा सलीम चिश्ती के सम्मान में ही बादशाह अकबर ने  [[बुलंद दरवाजा]] बनवाया था । उसके बाद अकबर ने [[फतेहपुर सीकरी]] को अपनी राजधानी भी बनाया लेकिन केवल 15 वर्षों में ही उसे अपना यह निर्णय बदलना पड़ा ।  यहाँ पर बादशाह अकबर का महल भी है जो कि भारत सरकार के पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है । यहाँ पर जोधाबाई महल, पंचमहल, अस्तबल, पचीसी दरबार, दीवान-ऐ-ख़ास, दीवान-ऐ-आम, बीरबल महल, अनूप तालाब भी है जहाँ पर सुरसम्राट [[तानसेन]] अपना संगीत सुनाते थे ।
सलीम चिश्ती अजमेर के ख्वाज़ा मुईनुद्दीन् चिश्ती के पौत्र थे । जब बादशाह [[अकबर]] द्वारा संतान प्राप्ति की दिशा में किए गए सभी प्रयास निष्फल रहे तो वह स्वप्न में आए निर्देश के मुताबिक़ बाबा सलीम चिश्ती के पास आए । उन्हीं के आशीर्वाद से अकबर को महारानी जोधाबाई से पुत्र प्राप्ति हुई और बाबा के नाम पर उसका नाम भी सलीम रखा गया । बाबा सलीम चिश्ती के सम्मान में ही बादशाह अकबर ने  [[बुलंद दरवाजा]] बनवाया था । उसके बाद अकबर ने [[फतेहपुर सीकरी]] को अपनी राजधानी भी बनाया लेकिन केवल 15 वर्षों में ही उसे अपना यह निर्णय बदलना पड़ा ।  यहाँ पर बादशाह अकबर का महल भी है जो कि भारत सरकार के पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है । यहाँ पर जोधाबाई महल, पंचमहल, अस्तबल, पचीसी दरबार, दीवान-ऐ-ख़ास, दीवान-ऐ-आम, बीरबल महल, अनूप तालाब भी है जहाँ पर सुरसम्राट [[तानसेन]] अपना संगीत सुनाते थे ।
[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|[[फतेहपुर सीकरी]], [[आगरा]]<br /> Fatehpur Sikri, Agra|thumb|left]]
[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|[[फतेहपुर सीकरी]], [[आगरा]]<br /> Fatehpur Sikri, Agra|thumb|left]]
सीकरी में एक सूफ़ी सन्त शेख़ सलीम चिश्ती रहा करते थे। उनकी शोहरत सुनकर अकबर, एक पुत्र की कामना लेकर उनके पास पहुंचा और जब अकबर को बेटा हुआ तो अकबर ने उसका नाम सलीम रखा। सीकरी में जहां सलीम चिश्ती रहते थे उसी के पास अकबर ने सन 1571 में एक क़िला बनवाना शुरु किया। अकबर की कई रानियाँ और बेगम थीं, किंतु उनमें से किसी से भी पुत्र नहीं हुआ था। अकबर पीरों एवं फकीरों से पुत्र प्राप्ति के लिए दुआएँ माँगता फिरता था। शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को दुआ दी। दैवयोग से अकबर की बड़ी रानी जो कछवाहा राजा बिहारीमल की पुत्री और भगवानदास की बहिन थी, गर्भवती हो गई, और उसने पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम शेख के नाम पर सलीम रखा गया जो बाद में [[जहाँगीर]] के नाम से अकबर का उत्तराधिकारी हुआ। अकबर शेख से बहुत प्रभावित था। उसने अपनी राजधानी सीकरी में ही रखने का निश्चय किया। सन 1571 में राजधानी का स्थानांतरण किया गया। उसी साल अकबर ने गुजरात को फ़तह किया। इस कारण नई राजधानी का नाम फतेहपुर सीकरी रखा गया। सन 1584 तक लगभग 14 वर्ष तक फतेहपुर सीकरी ही मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रही। अकबर ने अनेक निर्माण कार्य कराये, जिससे वह आगरा के समान बड़ी नगरी बन गई थी। फतेहपुर सीकरी समस्त देश की प्रशासनिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र थी। सन 1584 में एक अंग्रेज व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा है− 'आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं। उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है। सारे भारत और ईरान के व्यापारी यहाँ रेशमी तथा दूसरे कपड़े, बहुमूल्य रत्न, लाल, हीरा और मोती बेचने के लिए लाते हैं।'
सीकरी में एक सूफ़ी सन्त शेख़ सलीम चिश्ती रहा करते थे। उनकी शोहरत सुनकर अकबर, एक पुत्र की कामना लेकर उनके पास पहुंचा और जब अकबर को बेटा हुआ तो अकबर ने उसका नाम सलीम रखा। सीकरी में जहां सलीम चिश्ती रहते थे उसी के पास अकबर ने सन 1571 में एक क़िला बनवाना शुरु किया। अकबर की कई रानियाँ और बेगम थीं, किंतु उनमें से किसी से भी पुत्र नहीं हुआ था। अकबर पीरों एवं फकीरों से पुत्र प्राप्ति के लिए दुआएँ माँगता फिरता था। शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को दुआ दी। दैवयोग से अकबर की बड़ी रानी जो कछवाहा राजा बिहारीमल की पुत्री और भगवानदास की बहिन थी, गर्भवती हो गई, और उसने पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम शेख के नाम पर सलीम रखा गया जो बाद में [[जहाँगीर]] के नाम से अकबर का उत्तराधिकारी हुआ। अकबर शेख से बहुत प्रभावित था। उसने अपनी राजधानी सीकरी में ही रखने का निश्चय किया। सन 1571 में राजधानी का स्थानांतरण किया गया। उसी साल अकबर ने गुजरात को फ़तह किया। इस कारण नई राजधानी का नाम फतेहपुर सीकरी रखा गया। सन 1584 तक लगभग 14 वर्ष तक फतेहपुर सीकरी ही मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रही। अकबर ने अनेक निर्माण कार्य कराये, जिससे वह आगरा के समान बड़ी नगरी बन गई थी। फतेहपुर सीकरी समस्त देश की प्रशासनिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र थी। सन 1584 में एक अंग्रेज व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा है− 'आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं। उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है। सारे भारत और [[ईरान]] के व्यापारी यहाँ रेशमी तथा दूसरे कपड़े, बहुमूल्य रत्न, लाल, हीरा और मोती बेचने के लिए लाते हैं।'


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बुलंद दरवाजा, फ़तेहपुर सीकरी, आगरा
Buland Darwaja, Fatehpur Sikri, Agra

सलीम चिश्ती अजमेर के ख्वाज़ा मुईनुद्दीन् चिश्ती के पौत्र थे । जब बादशाह अकबर द्वारा संतान प्राप्ति की दिशा में किए गए सभी प्रयास निष्फल रहे तो वह स्वप्न में आए निर्देश के मुताबिक़ बाबा सलीम चिश्ती के पास आए । उन्हीं के आशीर्वाद से अकबर को महारानी जोधाबाई से पुत्र प्राप्ति हुई और बाबा के नाम पर उसका नाम भी सलीम रखा गया । बाबा सलीम चिश्ती के सम्मान में ही बादशाह अकबर ने बुलंद दरवाजा बनवाया था । उसके बाद अकबर ने फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी भी बनाया लेकिन केवल 15 वर्षों में ही उसे अपना यह निर्णय बदलना पड़ा । यहाँ पर बादशाह अकबर का महल भी है जो कि भारत सरकार के पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है । यहाँ पर जोधाबाई महल, पंचमहल, अस्तबल, पचीसी दरबार, दीवान-ऐ-ख़ास, दीवान-ऐ-आम, बीरबल महल, अनूप तालाब भी है जहाँ पर सुरसम्राट तानसेन अपना संगीत सुनाते थे । [[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|फतेहपुर सीकरी, आगरा
Fatehpur Sikri, Agra|thumb|left]] सीकरी में एक सूफ़ी सन्त शेख़ सलीम चिश्ती रहा करते थे। उनकी शोहरत सुनकर अकबर, एक पुत्र की कामना लेकर उनके पास पहुंचा और जब अकबर को बेटा हुआ तो अकबर ने उसका नाम सलीम रखा। सीकरी में जहां सलीम चिश्ती रहते थे उसी के पास अकबर ने सन 1571 में एक क़िला बनवाना शुरु किया। अकबर की कई रानियाँ और बेगम थीं, किंतु उनमें से किसी से भी पुत्र नहीं हुआ था। अकबर पीरों एवं फकीरों से पुत्र प्राप्ति के लिए दुआएँ माँगता फिरता था। शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को दुआ दी। दैवयोग से अकबर की बड़ी रानी जो कछवाहा राजा बिहारीमल की पुत्री और भगवानदास की बहिन थी, गर्भवती हो गई, और उसने पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम शेख के नाम पर सलीम रखा गया जो बाद में जहाँगीर के नाम से अकबर का उत्तराधिकारी हुआ। अकबर शेख से बहुत प्रभावित था। उसने अपनी राजधानी सीकरी में ही रखने का निश्चय किया। सन 1571 में राजधानी का स्थानांतरण किया गया। उसी साल अकबर ने गुजरात को फ़तह किया। इस कारण नई राजधानी का नाम फतेहपुर सीकरी रखा गया। सन 1584 तक लगभग 14 वर्ष तक फतेहपुर सीकरी ही मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रही। अकबर ने अनेक निर्माण कार्य कराये, जिससे वह आगरा के समान बड़ी नगरी बन गई थी। फतेहपुर सीकरी समस्त देश की प्रशासनिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र थी। सन 1584 में एक अंग्रेज व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा है− 'आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं। उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है। सारे भारत और ईरान के व्यापारी यहाँ रेशमी तथा दूसरे कपड़े, बहुमूल्य रत्न, लाल, हीरा और मोती बेचने के लिए लाते हैं।'

[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra-2.jpg|x200px|alt=फ़तेहपुर सीकरी|शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह (फ़तेहपुर सीकरी) का विहंगम दृश्य
Panoramic View Of Shekh Salim Chishti Shrine (Fatehpur Sikri)]]
शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह (फ़तेहपुर सीकरी) का विहंगम दृश्य
Panoramic View Of Shekh Salim Chishti Shrine (Fatehpur Sikri)

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