अरल सागर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Aral-Sea.jpg|thumb|250px|अरल सागर]]
[[चित्र:Aral-Sea.jpg|thumb|250px|अरल सागर]]
'''अरल सागर''' अथवा 'अराल सागर' मध्य [[एशिया]] में स्थित एक [[झील]] है। इसके बड़े आकार के कारण इसे [[सागर]] कहा जाता है। किंतु अब दिन-प्रतिदिन इसका आकार में कमी आती जा रही है। स्थानीय भाषाओं में 'अरल' का शाब्दिक अर्थ है- 'द्वीपों की झील। यह झील एक समय पर दिखने वाले लगभग 1500 टापुओं के आधार पर नामांकित थी। आँधी-तूफ़ानों की बहुलता तथा सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण इस सागर में यातायात सुगम नहीं है।
'''अरल सागर''' अथवा 'अराल सागर' [[मध्य एशिया]] में स्थित एक [[झील]] है। इसके बड़े आकार के कारण इसे [[सागर]] कहा जाता है। किंतु अब दिन-प्रतिदिन इसका आकार में कमी आती जा रही है। स्थानीय भाषाओं में 'अरल' का शाब्दिक अर्थ है- 'द्वीपों की झील। यह झील एक समय पर दिखने वाले लगभग 1500 टापुओं के आधार पर नामांकित थी। आँधी-तूफ़ानों की बहुलता तथा सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण इस सागर में यातायात सुगम नहीं है।
====विभाजन====
====विभाजन====
[[1960]] ई. में सोवियत प्रशासन ने अरल सागर में आकर मिलने वाली दो नदियों- '[[आमू नदी|आमू]]' और 'साइर' को मरुभूमि की सिंचाई के लिए विभाजित करने का निर्णय लिया। इसके बाद से यह सागर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया, जिसके परिणामस्वरूप आगे के 40 वर्षों में अरल सागर का 90 प्रतिशत [[जल]] समाप्त हो गया। इसका एक परिणाम यह भी हुआ कि अरल सागर की 74 प्रतिशत से अधिक सतह सिकुड़ गई और इसका आकार 1960 ई. के आकार का केवल 10 प्रतिशत ही शेष रह गया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/node/25690 |title=अरल सागर|accessmonthday=29 मार्च|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
[[1960]] ई. में सोवियत प्रशासन ने अरल सागर में आकर मिलने वाली दो नदियों- '[[आमू नदी|आमू]]' और 'साइर' को मरुभूमि की सिंचाई के लिए विभाजित करने का निर्णय लिया। इसके बाद से यह सागर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया, जिसके परिणामस्वरूप आगे के 40 वर्षों में अरल सागर का 90 प्रतिशत [[जल]] समाप्त हो गया। इसका एक परिणाम यह भी हुआ कि अरल सागर की 74 प्रतिशत से अधिक सतह सिकुड़ गई और इसका आकार 1960 ई. के आकार का केवल 10 प्रतिशत ही शेष रह गया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/node/25690 |title=अरल सागर|accessmonthday=29 मार्च|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>

Latest revision as of 08:38, 20 June 2014

thumb|250px|अरल सागर अरल सागर अथवा 'अराल सागर' मध्य एशिया में स्थित एक झील है। इसके बड़े आकार के कारण इसे सागर कहा जाता है। किंतु अब दिन-प्रतिदिन इसका आकार में कमी आती जा रही है। स्थानीय भाषाओं में 'अरल' का शाब्दिक अर्थ है- 'द्वीपों की झील। यह झील एक समय पर दिखने वाले लगभग 1500 टापुओं के आधार पर नामांकित थी। आँधी-तूफ़ानों की बहुलता तथा सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण इस सागर में यातायात सुगम नहीं है।

विभाजन

1960 ई. में सोवियत प्रशासन ने अरल सागर में आकर मिलने वाली दो नदियों- 'आमू' और 'साइर' को मरुभूमि की सिंचाई के लिए विभाजित करने का निर्णय लिया। इसके बाद से यह सागर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया, जिसके परिणामस्वरूप आगे के 40 वर्षों में अरल सागर का 90 प्रतिशत जल समाप्त हो गया। इसका एक परिणाम यह भी हुआ कि अरल सागर की 74 प्रतिशत से अधिक सतह सिकुड़ गई और इसका आकार 1960 ई. के आकार का केवल 10 प्रतिशत ही शेष रह गया।[1]

क्षेत्रफल

एक समय अरल सागर का क्षेत्रफल लगभग 68,000 वर्ग कि.मी. था। इसके बाद 2007 तक यह अपने मूल आकार के 10 प्रतिशत पर आ गया। इसके जल की लवणता में वृद्धि हो गई है, जिस कारण से इसमें मछलियों का जीवन संकट में पड़ गया है। 1960 ई. के बाद के दशकों में सूखे के कारण और पानी मोड़ने के लिए बनाई गई नहरों की कुव्यवस्था के कारण अरल सागर की तटरेखा में भी बहुत कमी देखी गई। इसके जल में जहाँ बड़ी नौकाएँ चलती थीं, वहीं अब रेगिस्तान नज़र आता है। किन्तु इस सबके बाद भी उज़बेकिस्तान दुनिया के प्रमुख कपास निर्यातकों में शामिल है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अरल सागर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2012।

संबंधित लेख