अभ्रक: Difference between revisions

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Revision as of 10:47, 28 August 2014

thumb|250px|अभ्रक अभ्रक एक बहुपयोगी खनिज है जो आग्नेय एवं कायान्तरित चट्टानों में खण्डों के रूप में पाया जाता है। अभ्रक की तीन मुख्य किस्में हैं-

  1. श्वेत अभ्रक - यह रूबी अभ्रक भी कहलाता है। सफेद धारियों वाला यह चक्र अभ्रक उच्च किस्म का होता है
  2. पीत अभ्रक - इसे फलोगोपाइट कहते हैं
  3. श्याम अभ्रक - इसे बायोटाइट कहते हैं। बायोटाइट अभ्रक का रंग हल्का गुलाबी होता है।

उत्पादन

अभ्रक के उत्पादन[1] में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। यहाँ से विश्व में मिलने वाली अच्छी किस्म का अभ्रक का 60 प्रतिशत से भी अधिक उत्पादन किया जाता है और भारत के उत्पादन का अधिकांश भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। अभ्रक का प्रमुख अयस्क फिमाटाइट आंध्र प्रदेश, झारखण्ड, बिहार और राजस्थान में पाया जाता है। यूएनएफसी के अनुसार भारत में अभ्रक का कुल अनुमानित भंडार 59,890 टन है, जिसमें 15 टन संरक्षित वर्ग में तथा शेष 59.875 टन संसाधान वर्ग में हैं। आंध्र प्रदेश में 67 प्रतिशत संसाधन भंडार है, इसके बाद बिहार में 22 प्रतिशत राजस्थान में 8 प्रतिशत तथा झारखण्ड मे 3 प्रतिशत है। भारत के झारखण्ड, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में अभ्रक निकाला जाता है किन्तु झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश एवं राजस्थान ही क्रमशः इसके सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं। झारखण्ड से भारत के कुल अभ्रक का लगभग 50 प्रतिशत प्राप्त होता है और यहाँ अभ्रक क्षेत्र 4,160 वर्ग किमी क्षेत्र पर फैला हुआ है। यहाँ मस्कोबाइट-बायोटाइट किस्म का अभ्रक हज़ारीबाग़ (कोडरमा), संथाल परगना, सिंहभूमिपलामू ज़िलों में निकाला जाता है।

प्राप्ति स्थान

झारखण्ड की अभ्रक पेटी 130 किमी लम्बी तथा 25 किमी चौड़ी है। यहाँ अभ्रक निकालने की लगभग 600 खानें हैं, जिनका अधिकांश भाग कोडरमा के जंगली क्षेत्रों में हैं। प्रसिद्ध खानें हैं - कोडरमा, गिरिडीह, चाकल, तिसरी, गवान, चटकारी, सिंगूर, डोमचांच, ईसरी, चकाई आदि। इसी प्रकार बिहार के गया और मुंगेर ज़िलों से भी अभ्रक निकाले जाते हैं। आन्ध्र प्रदेश की अभ्रक पेटी 96 किमी की लम्बाई तथा 20 से 32 किमी की चौड़ाई में विशाखापटनम, कृष्णा, पूर्वी एवं पश्चिमी गोदावरी, खम्मम, अनन्तपुर तथा नेल्लौर ज़िलों में फैली है। यहाँ सीताराम, पल्लीमाता, तेलीबाडू, कालीचेह, रायपुर आदि प्रमुख क्षेत्र हैं। यहाँ का अभ्रक क्षेत्र 1,550 वर्ग किमी में फैला है। गुंटूर ज़िले की शाहबाद की खान विश्व में अभ्रक की सबसे गहरी खान है। राजस्थान की अभ्रक पेटी का विस्तार उत्तर-पूर्व में जयपुर से लेकर दक्षिण-पश्चिम में उदयपुर तक 320 किमी की लम्बाई एवं 100 किमी की चौड़ाई में पाया जाता है। यहाँ सबसे प्रमुख अभ्रक उत्पादक ज़िला भीलवाड़ा है जहाँ टूँका, प्रतापपुरा, घोरास, बनेड़ी,लांबिया, शाहपुरा, बेलियाँ आदि प्रसिद्ध अभ्रक खाने स्थित हैं। इसके अतिरिक्त अजमेर, उदयपुर, टोंक, अलवर, भरतपुर ज़िलों में भी कुछ अभ्रक निकाला जाता है।

उपयुक्त तीन राज्यों के अतिरिक्त तमिलनाडु[2], केरल[3], उड़ीसा[4], कर्नाटक[5], मध्य प्रदेश[6], पश्चिम बंगाल[7], हरियाणा[8] में भी कुछ मात्रा में 1807 टन अभ्रक का उत्पादन हुआ है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. परतदार अभ्रक
  2. तिरूनेलवेल्ली, कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली तथा मदुरई ज़िले
  3. नय्यूर, पन्नालूर, अलेप्पी तथा किक्लोन ज़िले
  4. संबलपुर, कोरापुट, कटक तथा गंजम ज़िले
  5. हासन तथा मैसूर ज़िले
  6. बस्तर
  7. बांकुड़ा तथा मिदनापुर ज़िले
  8. नारनौल एवं गुड़गाँव ज़िले

बाहरी कड़ियाँ

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