अक्का महादेवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अक्का महादेवी''' वीरशैव धर्म से सम...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 14: Line 14:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
{{भारत के संत}}
[[Category:कवियित्री]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कथा साहित्य कोश]]
[[Category:कवियित्री]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कथा साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 09:40, 19 December 2014

अक्का महादेवी वीरशैव धर्म से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं। ये बारहवीं शताब्दी में हुई थीं। इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। अक्का महादेवी ने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन संतों के वचनों की अपेक्षा कम हैं। इन्हें वीरशैव धर्म के अन्य संतों, जैसे- बसव, चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा उच्च स्थान दिया गया था।

कथा

अक्का महादेवी शिव की भक्त थीं। शिव को वह अपने पति के रूप में देखती थीं। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था। जब वह युवा हुईं तो एक राजा की नजर उन पर पड़ी। वह इतनी खूबसूरत थीं कि राजा ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। राजा ने उन्हें धमकाया, यदि वे उससे विवाह नहीं करेंगी तो उनके माता-पिता का वध कर दिया जायेगा। इस पर अक्का देवी ने राजा से विवाह कर लिया, लेकिन उसे शारीरिक रूप से दूर ही रखा। राजा उनसे कई तरीकों से प्रेम निवेदन करता रहा, लेकिन हर बार वह एक ही बात कहतीं -"मेरा विवाह तो बहुत पहले शिव के साथ हो चुका है।"[1]

महल से निष्कासित

अक्का महादेवी का यह कहना कि उनका विवाह पहले ही शिव से हो चुका है, राजा को सहन नहीं हुआ। एक दिन राजा ने सोचा कि ऐसी पत्नी को रखने का कोई मतलब नहीं है। ऐसी पत्नी के साथ भला कोई कैसे रह सकता है, जिसने किसी अदृश्य व अनजाने व्यक्ति से विवाह किया हुआ है। उन दिनों औपचारिक रूप से तलाक नहीं होते थे। किंतु राजा परेशान रहने लगा। उसे समझ नही आ रहा था कि वह क्या करे। उसने अक्का को अपनी राजसभा में बुलाया और राजसभा से फैसला करने को कहा। जब सभा में अक्का महादेवी से पूछा गया तो वह यही कहती रहीं कि उनके पति कहीं और हैं।

राजा और भी क्रोध में आ गया, क्योंकि इतने सारे लोगों के सामने उसकी पत्नी कह रही थी कि उसका पति कहीं और है। आठ सौ साल पहले किसी राजा के लिए यह सहन करना कोई आसान बात नहीं थी। समाज में ऐसी बातों का सामना करना आसान नहीं था। राजा ने कहा, "अगर तुम्‍हारा विवाह किसी और के साथ हो चुका है तो तुम मेरे साथ क्या कर रही हो? चली जाओ।" राजा के ऐसे आदेश से अक्का महादेवी वहाँ से चल पड़ीं। जब राजा ने देखा कि अक्का बिना किसी परेशानी के उसे छोड़कर जा रही है, तो क्रोध के कारण उसके मन में नीचता आ गई। उसने कहा, "तुमने जो कुछ भी पहना हुआ है, आभूषण, कपड़े, सब कुछ मेरा है। यह सब यहीं छोड़ दो और तब जाओ।" लोगों से भरी राजसभा में सत्रह-अठ्ठारह साल की युवती अक्का महादेवी ने अपने सभी वस्त्र उतार दिए और वहां से निर्वस्त्र ही चल पड़ीं। उस दिन के बाद से अक्का महादेवी ने वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। बहुत-से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें वस्त्र पहनने चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें ही परेशानी हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।[1]

निधन

अक्का महादेवी पूरे जीवन निर्वस्त्र ही रहीं और एक महान संत के रूप में जानी गईं। उनका निधन कम उम्र में ही हो गया था, लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने शिव और उनके प्रति अपनी भक्ति के बारे में सैकड़ों खूबसूरत कविताएं लिखीं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 शिव की प्रेम दीवानी अक्का महादेवी (हिन्दी) इशा हिन्दी ब्लॉग। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2014।

संबंधित लेख