Difference between revisions of "प्रयोग:गोविन्द 5"

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         '''[[कृष्ण जन्माष्टमी]]''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के [[गीता|भगवद गीता]] के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को [[भारत]] में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना [[अवतार]] [[भाद्रपद]] माह की [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को मध्यरात्रि को [[कंस]] का विनाश करने के लिए [[मथुरा]] में लिया। [[कृष्ण जन्मभूमि]] पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे दिन [[व्रत]] रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में [[अभिषेक]] होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश]], [[बांके बिहारी मन्दिर|बिहारीजी]] एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है। [[कृष्ण जन्माष्टमी|... और पढ़ें]]
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         '''[[कृष्ण जन्माष्टमी]]''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के [[गीता|भगवद्गीता]] के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को [[भारत]] में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना [[अवतार]] [[भाद्रपद]] माह की [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को मध्यरात्रि में [[कंस]] का विनाश करने के लिए [[मथुरा]] में लिया। [[कृष्ण जन्मभूमि]] पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे दिन [[व्रत]] रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में [[अभिषेक]] होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश]], [[बांके बिहारी मन्दिर|बिहारीजी]] एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है। [[कृष्ण जन्माष्टमी|... और पढ़ें]]
 
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Revision as of 06:51, 23 August 2016

ek tyohar

        krishna janmashtami bhagavan shrikrishna ka janmotsav hai. yogeshvar krishna ke bhagavadgita ke upadesh anadi kal se janamanas ke lie jivan darshan prastut karate rahe haian. janmashtami ko bharat mean hi nahian balki videshoan mean base bharatiy bhi ise poori astha v ullas se manate haian. shrikrishna ne apana avatar bhadrapad mah ki krishna paksh ki ashtami ko madhyaratri mean kans ka vinash karane ke lie mathura mean liya. krishna janmabhoomi par desh–videsh se lakhoan shraddhaluoan ki bhi d um dati hai aur poore din vrat rakhakar nar-nari tatha bachche ratri 12 baje mandiroan mean abhishek hone par panchamrit grahan kar vrat kholate haian. krishna janmabhoomi ke alava dvarikadhish, bihariji evan any sabhi mandiroan mean isaka bhavy ayojan hota hai, jinamean bhari bhi d hoti hai. ... aur padhean


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