विरुपाक्ष मन्दिर: Difference between revisions

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Revision as of 10:52, 29 September 2016

विरुपाक्ष मन्दिर
विवरण 'विरुपाक्ष मन्दिर' हम्पी, कर्नाटक के कई आकर्षणों में से मुख्य है। यह 'शिव' के 'विरुपाक्ष' स्वरूप को समर्पित है।
राज्य कर्नाटक
ज़िला बेल्लारी ज़िला
निर्माण काल मध्य काल
प्रसिद्धि यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल है।
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा नज़दीकी बेल्लारी हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन नज़दीकी होस्पेट रेलवे स्टेशन
बस अड्डा हम्पी बस अड्डा
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि ग्रह
अन्य जानकारी 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था।

विरुपाक्ष मन्दिर (अंग्रेज़ी: Virupaksha Temple) हम्पी, कर्नाटक के कई आकर्षणों में से मुख्य है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। 1509 ई. में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहाँ गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान 'शिव' को यह मन्दिर समर्पित है। विरुपाक्ष मन्दिर को 'पंपापटी' नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर का संबंध इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से है।

स्थिति तथा स्थापत्य

15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर हम्पी नगर के बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊँचा है। मन्दिर का संबंध विजयनगर काल से है। विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। मन्दिर के पूर्व में पत्थर का एक विशाल नंदी है, जबकि दक्षिण की ओर गणेश की विशाल प्रतिमा है। यहाँ अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नृसिंह की 6.7 मीटर ऊँची मूर्ति है।[1] विरुपाक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार का गोपुरम हेमकुटा पहाड़ियों व आसपास की अन्य पहाड़ियों पर रखी विशाल चट्टानों से घिरा है और चट्टानों का संतुलन हैरान कर देने वाला है।

गोपुड़ा का निर्माण

[[चित्र:Virupaksha-Temple-Hampi-2.jpg|विरुपाक्ष मन्दिर, हम्पी|left|200px|thumb]] हम्पी के कई आकर्षणों में से विरुपाक्ष मन्दिर मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। विरुपाक्ष मंदिर हंपी के उन गिने-चुने मंदिरों में से है, जिनमें आज भी विधिवत पूजा होती है।

विश्व विरासत स्थल

विरुपाक्ष मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊंचा है। इस विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। विरुपाक्ष मन्दिर विश्व विरासत स्थल की सूची में सम्मिलित है। मन्दिर को 'पंपापटी मन्दिर' भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है।

किंवदंती

किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए। विरुपाक्ष मन्दिर में भूमिगत शिव मन्दिर भी है। मन्दिर का बड़ा हिस्सा पानी के अन्दर समाहित है, इसलिए वहाँ कोई नहीं जा सकता। बाहर के हिस्से के मुक़ाबले मन्दिर के इस हिस्से का तापमान बहुत कम रहता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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