हरिहर मैसूर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 20: | Line 20: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान}}{{कर्नाटक के पर्यटन स्थल}} | {{कर्नाटक के धार्मिक स्थल}}{{कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान}}{{कर्नाटक के पर्यटन स्थल}} | ||
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:कर्नाटक के पर्यटन स्थल]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:कर्नाटक के धार्मिक स्थल]] | [[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:कर्नाटक के पर्यटन स्थल]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:कर्नाटक के धार्मिक स्थल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 10:55, 29 September 2016
चित्र:Disamb2.jpg हरिहर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- हरिहर (बहुविकल्पी) |
हरिहर कर्नाटक राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है। जो एक सुन्दर चालुक्य कालीन मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। यह स्टेशन बंगलोर-पूना लाइन पर है। यह नगर तुंगभद्रा के तट पर बसा है। स्टेशन से मंदिर आधा मील दूर है। मंदिर के पीछे ही नदी है।
- मंदिर में हरिहरात्मक मूर्ति है, उसी के समीप ही देवी का मंदिर है।
- मंदिर के आस-पास कई शिला लेख हैं।
- यहाँ का चालुक्य काल में निर्मित मन्दिर तत्कालीन वास्तुकला का अच्छा उदाहरण है।
- मन्दिर की विशालता तथा भव्यता परम प्रशंसनीय है।
- हरिहर चीतल दुर्ग के निकट मुम्बई-मैसूर राज्यों की सीमा पर स्थित है।
- इस क्षेत्र का प्राचीन नाम गुहारण्य है।
यहाँ तुंगभद्रा में 11 तीर्थ हैं-
1. ब्रह्मतीर्थ 2. भार्गव तीर्थ 3. नृसिंह तीर्थ 4. वह्नि तीर्थ 5. गालव तीर्थ 6. चक्रतीर्थ 7. रुद्रपाद तीर्थ 8. पापनाशन तीर्थ 9. पिशाचमोचन 10. ऋणमोचन 11. वटच्छाया तीर्थ
पौराणिक कथा
यहाँ ब्रह्मा के वरदान से अजेय बना गुह राक्षस रहता था। देवता उसके अत्याचार से तंग आकर ब्रह्माजी के साथ वैकुण्ठ गये। विष्णु भगवान ने अपने दाहिने भाग में शंकरजी को स्थित किया और हरिहर रूप से उसे मारा। मरते समय गुरु ने भगवान से इसी रूप में स्थित रहने की प्रार्थना की[1]।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 171 |