दुनियाँ के धौखे मुवा -कबीर: Difference between revisions
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दुनियाँ भाँड़ा | दुनियाँ भाँड़ा दु:ख का -कबीर |
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दुनियाँ के धौखे मुवा, चलै जु कुल की कांनि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! तू कुल की गौरव-वृद्धि में पड़ा रहता है। इसी कारण संसारिक भुलावे में मारा जाता है। जब तुझे लोग श्मशान में लिटा देंगे, तब किसका कुल लज्जित होगा? अर्थात् जिस कुल की मर्यादा-वृद्धि में तू पड़ा रहता है, उससे तेरा सम्बन्ध ही छूट जायगा फिर किसके कुल की प्रतिष्ठा का प्रश्न रह जायगा ?
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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