पद गावै लौंलीन ह्वै -कबीर: Difference between revisions

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[[कबीरदास]] कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष (खाली सूप) को पछोरना।
[[कबीरदास]] कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष (ख़ाली सूप) को पछोरना।





Latest revision as of 11:17, 5 July 2017

पद गावै लौंलीन ह्वै -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

पद गावै लौंलीन ह्वै, कटी न संसै पास।
सबै पछाड़े थोथरे, एक दिना बिस्वास॥

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष (ख़ाली सूप) को पछोरना।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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