कीर्ति चौधरी: Difference between revisions

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====अन्य====
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'कम्पनी बाग़', 'आगत का स्वागत', 'बरसते हैं मेघ झर झर', 'मुझे फ़िर से लुभाया', 'वक़्त', 'केवल एक बात थी' इत्यादि।
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==निधन==
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नयी और मुखर [[कविता]] के लिए जानी जाने वाली वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कीर्ति चौधरी का [[शुक्रवार]] [[13 जून]], [[2008]] को [[लंदन]] में भारतीय समयानुसार सुबह 3:45 पर निधन हुआ था। मृत्यु से पूर्व कीर्ति का लंदन में उपचार चल रहा था। इनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत ने एक रत्न खो दिया है।
नयी और मुखर [[कविता]] के लिए जानी जाने वाली वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कीर्ति चौधरी का [[शुक्रवार]] [[13 जून]], [[2008]] को [[लंदन]] में भारतीय समयानुसार सुबह 3:45 पर निधन हुआ था। मृत्यु से पूर्व कीर्ति का लंदन में उपचार चल रहा था। इनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत ने एक रत्न खो दिया है।

Revision as of 14:04, 1 August 2017

कीर्ति चौधरी
पूरा नाम कीर्ति चौधरी
अन्य नाम कीर्ति बाला सिन्हा
जन्म 1 जनवरी, 1934
जन्म भूमि नईमपुर गाँव, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 13 जून, 2008
मृत्यु स्थान लंदन
अभिभावक माता- सुमित्रा कुमारी सिन्हा
पति/पत्नी ओंकारनाथ श्रीवास्तव
संतान पुत्री- अतिमा श्रीवास्तव
कर्म-क्षेत्र साहित्य
मुख्य रचनाएँ दायित्व भार', 'लता 1, 2 और 3', 'एकलव्य', 'बदली का दिन', 'सीमा रेखा'।
शिक्षा स्नातकोत्तर
प्रसिद्धि कवयित्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कीर्ति चौधरी तीसरे सप्तक की एक मात्र कवयित्री थीं। महादेवी वर्मा के बाद नई कविता में हुई रिक्तता को उन्होंने ही पाटा था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

कीर्ति चौधरी (अंग्रेज़ी: Kirti Chaudhary, जन्म- 1 जनवरी, 1934, नईमपुर गाँव, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 13 जून, 2008, लंदन) तार सप्तक की मशहूर कवयित्री थी। साहित्य उन्हें विरासत में मिला था। उन्होंने "उपन्यास के कथानक तत्त्व" जैसे विषय पर शोध किया था।

परिचय

कीर्ति चौधरी का जन्म 1 जनवरी, 1934 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ था। कीर्ति चौधरी का मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था। उन्नाव में जन्म के कुछ वर्ष बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए कानपुर का रुख़ किया। 1954 में एम. ए. करने के बाद 'उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध भी किया। हालांकि उनके पिता एक ज़मीदार थे, पर कीर्ति की माँ सुमित्रा कुमारी सिन्हा ख़ुद एक बड़ी कवयित्री, लेखिका और जानी-मानी गीतकार थीं। जाने माने साहित्यकार अजित कुमार उनके भाई थे। कीर्ति चौधरी का लेखन माँ के प्रभाव से मुक्त था और अपनी मौलिकता लिए हुए था। उनकी रचनाधर्मिता के पीछे अनुभवों की विविधता भी एक कारण रहा होगा। इसका संकेत कीर्ति अपने बारे में लिखते हुए देती हैं।- "गाँव, कस्बे और शहर के विचित्र मिले-जुले प्रभाव मेरे ऊपर पड़ते रहे हैं।"[1]

विवाह

साहित्य कीर्ति चौधरी को विरासत में भी मिला और फिर जीवन साथी के साथ भी साहित्य, संप्रेषण जुड़े रहे। उनका विवाह हिंदी के सर्वश्रेष्ठ रेडियो प्रसारकों में से एक ओंकारनाथ श्रीवास्तव से हुआ था। वह बी.बी.सी हिंदी सेवा के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे। ओंकारनाथ श्रीवास्तव केवल रेडियो को अपने योगदान ही नहीं, बल्कि अपनी कविताओं और कहानियों के लिए भी जाने जाते हैं। उनके परिवार में अब उनकी बेटी अतिमा श्रीवास्तव हैं, जो ख़ुद अंग्रेज़ी की लेखिका हैं। अतिमा के दो उपन्यास 'ट्रांसमिशन' और 'लुकिंग फ़ॉर माया' प्रकाशित हो चुके हैं।

साहित्यिक परिचय

कीर्ति चौधरी तीसरे सप्तक की एक मात्र कवयित्री थीं। तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60 के दशक में प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह, कुँवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैसे साहित्यकारों के साथ कीर्ति चौधरी को भी तीसरा सप्तक का हिस्सा बनाया। कीर्ति चौधरी की साहित्यिक यात्रा यों तो बहुत लंबा-चौड़ा समय और सृजन समेटे हुए नहीं है पर जितना भी है, उसे किसी तरह से कमतर नहीं आंका जा सकता।

प्रसिद्ध रचनाएं

महादेवी वर्मा के बाद नई कविता में हुई रिक्तता को कीर्ति ने ही पाटा था। इनकी कवितायें इंसान और उसके जीवन से जुड़े अनुभवों के इर्द गिर्द घूमती हैं, नई कविताओं के अन्य रचनाकारों की तरह इन्होंने भी प्रतीकों और बिम्बों का प्रयोग करते हुए सम्पूर्ण जीवन की कविताएँ लिखी। इनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं-

तीसरा सप्तक

'दायित्व भार', 'लता 1, 2 और 3', 'एकलव्य', 'बदली का दिन', 'सीमा रेखा'।

अन्य

'कम्पनी बाग़', 'आगत का स्वागत', 'बरसते हैं मेघ झर झर', 'मुझे फिर से लुभाया', 'वक़्त', 'केवल एक बात थी' इत्यादि।

निधन

नयी और मुखर कविता के लिए जानी जाने वाली वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कीर्ति चौधरी का शुक्रवार 13 जून, 2008 को लंदन में भारतीय समयानुसार सुबह 3:45 पर निधन हुआ था। मृत्यु से पूर्व कीर्ति का लंदन में उपचार चल रहा था। इनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत ने एक रत्न खो दिया है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कवयित्री कीर्ति चौधरी का निधन (हिंदी) www.bbc.com। अभिगमन तिथि: 27 जुलाई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख