कबीर सतगुर ना मिल्या -कबीर: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:44, 3 August 2017
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कबीर सतगुर ना मिल्या, रही अधूरी सीख। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि सद्गुरु के मार्गदर्शन के अभाव में साधना अधूरी रह जाती है और ऐसे लोग संन्यासी का वेश बनाकर केवल भिक्षा मांगते रहते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख