टिहरी बाँध: Difference between revisions
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'''टिहरी बाँध''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tehri Dam'') टिहरी विकास परियोजना का प्राथमिक बाँध है, जो [[उत्तराखण्ड|उत्तराखण्ड राज्य]] के [[टिहरी गढ़वाल|टिहरी]] में स्थित है। यह बाँध [[गंगा नदी]] की प्रमुख सहयोगी नदी [[भागीरथी नदी|भागीरथी]] पर बनाया गया है। टिहरी बाँध की ऊँचाई 260.5 मीटर है, जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध बनाती है। | |||
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Latest revision as of 11:54, 6 October 2017
टिहरी बाँध
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विवरण | 'टिहरी बाँध' बाँध उत्तराखण्ड राज्य में भागीरथी नदी पर निर्मित है। |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखण्ड |
निर्माण शुरुआत | 1978 |
शुभारम्भ | 2006 |
ऊँचाई | 260.5 मीटर (855 फ़ुट) |
लम्बाई | 575 मीटर (1,886 फ़ुट) |
जलाशय क्षमता | 2,100,000 एकर·फ्ट |
टिहरी बाँध (अंग्रेज़ी: Tehri Dam) टिहरी विकास परियोजना का प्राथमिक बाँध है, जो उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी में स्थित है। यह बाँध गंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी भागीरथी पर बनाया गया है। टिहरी बाँध की ऊँचाई 260.5 मीटर है, जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध बनाती है।
- टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है। टिहरी बांध दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा बाँध है, जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने हेतु किया जाता है।
- इस बाँध से 2400 मेगावाट विद्युत उत्पादन, 270,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड को उपलब्ध कराना है।
- टिहरी बांध परियोजना हेतु प्राथमिक जांच का काम 1961 में पूर्ण हो गया था। इसके बाद इसकी रूपरेखा तय करने का कार्य 1972 में हुआ। इसके लिए 600 एमडबल्यू का बिजली संयंत्र लगाया गया। इसके निर्माण का कार्य 1978 में शुरू हुआ, लेकिन आर्थिक, पर्यावरणीय आदि प्रभाव के कारण इसमें देरी हुई। इसके निर्माण का कार्य 2006 में पूरा हो गया।
- टिहरी जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत तीन मुख्य इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं-
- टिहरी बाँध और जल विद्युत इकाई - 1000 मेगावाट
- कोटेशवर जल विद्युत परियोजना - 400 मेगावाट
- टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना - 1000 मेगावाट
- वर्तमान में इसकी स्थापित क्षमता 2400 मेगावाट है। 'भारत सरकार' ने यहाँ अतिरिक्त 1000 मेगावाट की इकाई लगाने की मंज़ूरी दे दी है।
- टिहरी बाँध परियोजना पर केंद्र सरकार ने 75 प्रतिशत व राज्य सरकार ने 25 प्रतिशत धन व्यय किया है।
- यह परियोजना हिमालय के केंद्रीय क्षेत्र में स्थित है। यहाँ आस-पास 6.8 से 8.5 तीव्रता के भूकंप आने का अनुमान लगाया गया है। इस कारण इस बाँध का भारी विरोध भी हो रहा है।
- पर्यावरणविद मानते है की बाँध के टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर इसमें जलमग्न हो जाएँगे।
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