भगवत दयाल शर्मा: Difference between revisions
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भगवत दयाल शर्मा जी का जन्म 28 जनवरी, 1918 को [[हरियाणा]] के [[रोहतक ज़िला|रोहतक ज़िले]] में 'बैरो' नामक स्थान पर हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम पण्डित मुरारीलाल शर्मा था। भगवत दयाल शर्मा ने अपनी एम.ए. की डिग्री '[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]]', [[उत्तर प्रदेश]] से प्राप्त की थी। बाद में डी.लिट की उपाधि 'महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय', रोहतक से प्राप्त की। | भगवत दयाल शर्मा जी का जन्म 28 जनवरी, 1918 को [[हरियाणा]] के [[रोहतक ज़िला|रोहतक ज़िले]] में 'बैरो' नामक स्थान पर हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम पण्डित मुरारीलाल शर्मा था। भगवत दयाल शर्मा ने अपनी एम.ए. की डिग्री '[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]]', [[उत्तर प्रदेश]] से प्राप्त की थी। बाद में डी.लिट की उपाधि 'महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय', रोहतक से प्राप्त की। | ||
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Revision as of 05:28, 22 February 2018
भगवत दयाल शर्मा
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पूरा नाम | भगवत दयाल शर्मा |
जन्म | 28 जनवरी, 1918 |
जन्म भूमि | रोहतक, हरियाणा |
मृत्यु | 22 फ़रवरी, 1993 |
अभिभावक | पण्डित मुरारीलाल शर्मा |
कर्म भूमि | भारत |
शिक्षा | एम.ए., डी.लिट |
विद्यालय | 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय', उत्तर प्रदेश; 'महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय', रोहतक |
नागरिकता | भारतीय |
पद | मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल |
कार्यकाल | मुख्यमंत्री हरियाणा- 1966-67; राज्यपाल मध्य प्रदेश- 30 अप्रैल, 1980 से 14 मई, 1984 तक। आप उड़ीसा के राज्यपाल भी रहे थे। |
जेल यात्रा | स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के कारण आपने 1941 में एक वर्ष की और फिर 1942 में साढ़े तीन वर्ष जेल की सज़ा काटी। |
अन्य जानकारी | 1968-74 तक भगवत दयाल शर्मा राज्य सभा के सदस्य रहे। मार्च-सितम्बर, 1977 में आप करनाला निर्वाचन क्षेत्र से छठवीं लोक सभा के सदस्य रहे थे। |
भगवत दयाल शर्मा (अंग्रेज़ी: Bhagwat Dayal Sharma; जन्म- 28 जनवरी, 1918, रोहतक, हरियाणा; मृत्यु- 22 फ़रवरी, 1993) हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। इन्होंने 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' में भी योगदान दिया था। अपने कार्यकर्ताओं के बीच भगवत दयाल शर्मा 'पण्डितजी' के नाम से प्रसिद्ध थे। बी. डी. शर्मा 23 सितम्बर, 1977 को उड़ीसा के राज्यपाल बनाये गए थे। इसके बाद वे 1980 से 1984 तक मध्य प्रदेश राज्य के भी राज्यपाल रहे।
जन्म तथा शिक्षा
भगवत दयाल शर्मा जी का जन्म 28 जनवरी, 1918 को हरियाणा के रोहतक ज़िले में 'बैरो' नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम पण्डित मुरारीलाल शर्मा था। भगवत दयाल शर्मा ने अपनी एम.ए. की डिग्री 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय', उत्तर प्रदेश से प्राप्त की थी। बाद में डी.लिट की उपाधि 'महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय', रोहतक से प्राप्त की।
अभिरुचि
वाचन करने और शतरंज खेलने में भगवत दयाल जी की विशेष रुचि थी। इसके अतिरिक्त आदिवासी हरिजनों तथा कमज़ोर वर्गों के कल्याणकारी कार्यों को करने में भी उनके रुचि थी।[1]
विवाह
भगवत दयाल शर्मा का विवाह सावित्री देवी से हुआ था। ये तीन पुत्र तथा तीन पुत्रियों के पिता थे।
क्रांतिकारी शुरुआत
पूर्व में भगवत दयाल शर्मा कांग्रेस और संगठन कांग्रेस से संबद्ध रहे। सन 1941-46 में आपने 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' में भाग लिया। इन्होंने 1941 में एक वर्ष की जेल यात्रा की तथा फिर 1942 में साढ़े तीन वर्ष की जेल की सज़ा काटी।
विभिन्न पदों पर कार्य
- भगवत दयाल शर्मा 1959-61 में क्षेत्रीय 'भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस', पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के सेक्रेटरी तथा प्रसीडेन्ट रहे।
- 1959-65 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
- आप 1959 में 'भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की वकिग कमेटी के सदस्य तथा 1960-61 में उसके संगठन सचिव रहे।
- इन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ' में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।
- सन 1963 और 1964-66 में भगवत दयाल शर्मा 'पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी' तथा 1966 में 'हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी' के प्रसीडेन्ट रहे।
- भगवत दयाल शर्मा 1968 में हरियाणा में संयुक्त मोर्चे के नेता निर्वाचित हुए थे।
- वे 1970-71 में 'अखिल भारतीय (संगठन) कांग्रेस कमेटी' की वकिंग कमेटी के सदस्य भी रहे।
- 1962-66 में भगवत दयाल शर्मा 'पंजाब विधान सभा' के सदस्य तथा 'श्रम और सहकारिता' के राज्यमंत्री रहे।
- सन 1966-67 में आप हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे।[1]
राज्य सभा तथा लोक सभा सदस्य
1968-74 तक भगवत दयाल शर्मा राज्य सभा के सदस्य रहे। मार्च-सितम्बर, 1977 में आप करनाला निर्वाचन क्षेत्र से छठवीं लोक सभा के सदस्य रहे।
राज्यपाल
23 सितम्बर, 1977 को भगवत दयाल शर्मा उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त किये गये। ये उड़ीसा राज्य की अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के सरंक्षक रहे। जगन्नाथ मंदिर की प्रशासनिक कमेटी से सक्रिय रूप में भी भगवत दयाल शर्मा संबद्ध रहे। इसके बाद भगवत दयाल शर्मा ने 30 अप्रैल, 1980 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पद ग्रहण किया। इस पद वे 14 मई, 1984 तक रहे।
विदेश यात्रा
वर्ष 1957 और 1958 में भगवत दयाल शर्मा 'अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन' (जेनेवा), स्टि्जरलैंड में भारतीय श्रमिकों का दो बार प्रतिनिधित्व करने वाले शिष्टमण्डल के सदस्य रहे।[1]
निधन
भगवत दयाल शर्मा जी का निधन 22 फ़रवरी, 1993 को हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल (हिन्दी) एमपी पोस्ट। अभिगमन तिथि: 17 सितम्बर, 2014।