अमित शाह: Difference between revisions
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Revision as of 12:10, 24 December 2019
अमित शाह
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पूरा नाम | अमिताभ अनिलचन्द्र शाह |
जन्म | 22 अक्तूबर, 1964[1] |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | अनिलचंद्र शाह |
पति/पत्नी | सोनल शाह |
संतान | पुत्र- जय |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | अध्यक्ष (भारतीय जनता पार्टी), अध्यक्ष (गुजरात क्रिकेट एसोशिएशन) |
शिक्षा | स्नातक (विज्ञान) |
भाषा | हिंदी |
अन्य जानकारी | अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। |
अद्यतन | 20:23, 10 जुलाई 2014 (IST)
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अमिताभ अनिलचन्द्र शाह (अंग्रेज़ी: Amitabh Anilchandra Shah, जन्म: 22 अक्तूबर, 1964[1]) भारत के वर्तमान गृहमंत्री तथा प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं। वे राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। गाँधी नगर से वे लोक सभा के सांसद हैं। अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में गृहमंत्री के पद पर रहते हुए शाह ने जम्मू-कश्मीर से 'धारा 370' हटाने का बड़ा फैसला लिया, जो इनके अडिग और निर्भीक चरित्र को दर्शाता है। लोकसभा चुनाव 2014 में पार्टी को उत्तर प्रदेश में मिली भारी सफलता का श्रेय अमित शाह को ही दिया जाता है। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में भी भाजपा की विजय का श्रेय इन्हें दिया जाता है। वास्तव में पिछले 10 सालों में ना केवल केंद्र की राजनीति में भाजपा का सकारात्मक प्रभाव दिखा है बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी अमित शाह की कूटनीति से भाजपा मजबूत हुई है।
जीवन परिचय
अमित शाह का जन्म मुम्बई में एक बड़े व्यवसायी अनिलचंद्र शाह के घर 22 अक्तूबर 1964 को हुआ। उन्होंने बायोकेमेस्ट्री में बीएससी तक शिक्षा प्राप्त की। साथ ही पिता के व्यवसाय से जुड़ गए। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए भाजपा में प्रवेश किया। मार्च में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया। गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे तथा गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे। गुजरात के पूर्व गृहमंत्री तथा लाल कृष्ण आडवाणी के सबसे क़रीबी माने जाते थे। दरअसल, कुछ समय तक उन्होंने स्टॉक ब्रोकर का भी कार्य करने के बाद आरएसएस से जुड़ गए और उसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य भी बन गए। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस वक्त अमित शाह उनके क़रीब आए और गांधीनगर क्षेत्र में चुनाव के दौरान उनके साथ प्रचार-प्रसार किया। गुजरात के सबसे चर्चित और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के प्रमुख षड्यंत्रकारी अमित शाह गुजरात के मुख्यमंत्री के सबसे चहेते माने जाते हैं। अमित शाह सबसे कम्र उम्र के गुजरात स्टेट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे अहमदाबाद ज़िला कॉर्पोरेटिभ बैंक के चेयरमैन रहे।[2]
विधायक एवं मंत्री पद
2003 में जब गुजरात में दुबारा नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, तब नरेन्द्र मोदी ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उन्हें गृह मंत्रालय सहित कई तरह की जिम्मेदारियां सौंपीं। अमित शाह बहुत ही जल्द नरेन्द्र मोदी के सबसे क़रीबी बन गए। अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। 2002 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की 182 में से 126 सीटें जीतीं, तो अमित शाह ने सबसे अधिक (1.58 लाख) वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। अगले चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ कर 2.35 लाख वोट हो गया। 2004 में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवाद की रोकथाम के लिए बनाए गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम के बाद अमित शाह ने राज्य विधानसभा में गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज क्राइम (संशोधित) बिल पेश किया। हालांकि राज्य विपक्ष ने इस बिल का बहिष्कार किया था।[2]
विवाद
2008 में अहमदाबाद में हुए बम ब्लास्ट मामले को 21 दिनों के भीतर सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बम ब्लास्ट में 56 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। उन्होंने राज्य में और अधिक बम ब्लास्ट करने के इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के मंसूबों को भी नेस्तोनाबूद किया था। अमित शाह के नेतृत्व में 2005 में गुजरात पुलिस ने आपराधिक छवि वाले सोहराबुद्दीन शेख का एन्काउंटर किया था। इस केस में कुछ महीने पहले आईपीएस ऑफिसर अभय चूडास्मा गिरफ्तार हुए थे, जिनके बयान के बाद सीबीआई ने बताया कि राज्य सरकार जिसे एक मुठभेड़ बता रही है, सोहराबुद्दीन शेख की हत्या उसी राज्य पुलिस द्वारा की गई है। बाद में इसक केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई का आरोप था कि शाह के इशारे पर ही फर्जी मुठभेड़ का नाटक रचा गया। धूमकेतु की तरह उठे उनके राजनीतिक कैरियर पर सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले के साथ ही ग्रहण लग गया। सोहराबुद्दीन शेख की पत्नी तथा इस केस के प्रमुख गवाह तुलसी प्रजापति की भी हत्या कर दी गई थी। इस केस की जांच कर रही राज्य पुलिस की एक शाखा सीआईडी की टीम, अमित शाह को अपनी रोज़ की रिपोर्ट सौंपती थी। उन्हीं टीम के सदस्य चूडास्मा और वंजारा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। सीआईडी द्वारा इस केस की सही जांच नहीं करने तथा कोई पुख्ता सबूत इकट्ठा नहीं करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। वंजारा सहित सभी अधिकारियों ने अमित शाह के इस केस में शामिल होने के सारे सबूत और कॉल डिटेल्स भी खत्म कर दिए थे। अंतत: सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ में अमित शाह को दोषी माना गया और उन्हें 25 जुलाई 2010 को जेल जाना पड़ा। उन पर हत्या, अपहरण तथा जबरन बयान बदलने के लिए मजबूर करने जैसे आरोप लगे हैं। उनका केस वरिष्ठ वकिल राम जेठमलानी ने लड़ा। गुजरात हाई कोर्ट तथा सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा कई बार जमानत को खारिज करने के बाद आख़िर गुजरात हाई कोर्ट ने 2010 में उन्हें जमानत दे दी।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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