शेरशाह सूरी मस्जिद, पटना: Difference between revisions
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'''शेरशाह सूरी मस्जिद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sher Shah Suri Mosque'') [[पटना]], [[बिहार]] की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद को 'शेरशाही' भी कहा जाता है। यह मस्जिद [[वास्तुकला]] की अफ़गान शैली का एक उम्दा उदाहरण है। 1540-1545 ई. में इसे [[शेरशाह सूरी]] ने अपनी श्रेष्ठता के उपलक्ष्य में बनवाया था। मस्जिद के परिसर के अंदर एक कब्र मौजूद है जिसे एक अष्टकोणीय पत्थर की स्लैब से सहारा दिया गया है। शेरशाह सूरी मस्जिद का मुख्य आकर्षण उसका केंद्रीय गुंबद है जो चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। इन गुंबदों की विशिष्टता इस बात में निहित है कि किसी भी कोण या दिशा से देखने पर केवल तीन गुंबद ही दिखाई देते हैं। | '''शेरशाह सूरी मस्जिद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sher Shah Suri Mosque'') [[पटना]], [[बिहार]] की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद को 'शेरशाही' भी कहा जाता है। यह मस्जिद [[वास्तुकला]] की अफ़गान शैली का एक उम्दा उदाहरण है। 1540-1545 ई. में इसे [[शेरशाह सूरी]] ने अपनी श्रेष्ठता के उपलक्ष्य में बनवाया था। मस्जिद के परिसर के अंदर एक कब्र मौजूद है जिसे एक अष्टकोणीय पत्थर की स्लैब से सहारा दिया गया है। शेरशाह सूरी मस्जिद का मुख्य आकर्षण उसका केंद्रीय गुंबद है जो चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। इन गुंबदों की विशिष्टता इस बात में निहित है कि किसी भी कोण या दिशा से देखने पर केवल तीन गुंबद ही दिखाई देते हैं। | ||
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Latest revision as of 11:27, 4 March 2021
thumb|250px|शेरशाह सूरी मस्जिद शेरशाह सूरी मस्जिद (अंग्रेज़ी: Sher Shah Suri Mosque) पटना, बिहार की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद को 'शेरशाही' भी कहा जाता है। यह मस्जिद वास्तुकला की अफ़गान शैली का एक उम्दा उदाहरण है। 1540-1545 ई. में इसे शेरशाह सूरी ने अपनी श्रेष्ठता के उपलक्ष्य में बनवाया था। मस्जिद के परिसर के अंदर एक कब्र मौजूद है जिसे एक अष्टकोणीय पत्थर की स्लैब से सहारा दिया गया है। शेरशाह सूरी मस्जिद का मुख्य आकर्षण उसका केंद्रीय गुंबद है जो चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। इन गुंबदों की विशिष्टता इस बात में निहित है कि किसी भी कोण या दिशा से देखने पर केवल तीन गुंबद ही दिखाई देते हैं।
निर्माण
16वीं शताब्दी की इस मस्जिद का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था। शेरशाह ने अपनी राजधानी बिहार के सासाराम में बनाई थी। उन्होंने अपने शासनकाल में इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस संरचना में भव्य अफगानी वास्तुशिल्प का प्रभाव है। यह बिहार की कई खूबसूरत मस्जिदों में से एक है। कई लोगों का कहना है कि इस महान राजा ने इस मस्जिद का निर्माण तब किया, जब उन्होंने मुग़ल सम्राट हुमायूं के साथ युद्ध जीत लिया था। इसके पूरब दरवाजा के दक्षिण-पश्चिम सिरे पर स्थित इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1540 से 1545 ई. के बीच हुआ था। शेरशाह सूरी मस्जिद सप्ताह के सातों दिन आगंतुकों के लिए खुली रहती है। इसकी खूबसूरती और प्रेरणादायक वास्तुकला को दुनिया भर के पर्यटक सराहते हैं।
स्थापत्य
शेरशाह सूरी पटना शहर की सबसे बड़ी मस्जिद होने के साथ एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल भी है। इसे स्थानीय लोग शेरशाही के नाम से भी जानते हैं। हजारों लोगों के एक साथ प्रार्थना करने के उद्देश्य से इस बड़ी मस्जिद का निर्माण किया गया था। यह मस्जिद अपनी वास्तुकला से लोगों को प्रभावित करती है। मस्जिद परिसर के अंदर मकबरे के ऊपर एक अष्टकोणीय पत्थर की पटिया है। इसकी छत के केंद्र में एक बड़ा गुंबद है और इसके चारों ओर चार छोटे गुंबद हैंए जो इसके अनोखे सौंदर्य को दिखाते हैं। लेकिन जब इस भव्य मस्जिद की वास्तुकला की बात आती है तो यहां और भी चीज़ें देखने को मिलती है।
इतने सालों पहले किए गए इन गुंबदों की डिजाइन को इसकी शुद्धता के लिए सराहा जाना चाहिए। जब भी आप मस्जिद के अंदर होते हैं तो उसके प्रत्येक कोण से जब आप गुंबदों को देखते हैं तो आप एक समय में केवल तीन गुंबद ही देख सकते हैं। और जब आप उन्हें मस्जिद के बाहर खड़े होकर देखते हैं, तब भी आप मस्जिद के शीर्ष पर स्थित पांच गुंबदों में से तीन को ही देख सकते हैं।
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