शयनरचन कला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[ चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। इस कला के अन्तर्गत शैय्या को भली प्रकार से लगाना है जिसमें बिछौना को सुन्दर तरीके से सुसज्जित करना है। | [[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। इस कला के अन्तर्गत शैय्या को भली प्रकार से लगाना है जिसमें बिछौना को सुन्दर तरीके से सुसज्जित करना है। | ||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार=आधार1 | |||
|प्रारम्भिक= | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} | {{चौंसठ कलाएँ जयमंगल}} | ||
[[Category:चौंसठ कलाएँ]] | [[Category:चौंसठ कलाएँ]] | ||
[[Category:कला_कोश]]__INDEX__ | [[Category:कला_कोश]]__INDEX__ |
Revision as of 07:57, 24 September 2010
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। इस कला के अन्तर्गत शैय्या को भली प्रकार से लगाना है जिसमें बिछौना को सुन्दर तरीके से सुसज्जित करना है।
|
|
|
|
|