जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एककलाहै। देव-पूजनादि के अवसर पर तरह-तरह के रंगे हुए चावल, जौ आदि वस्तुओ तथा रंगबिरंगे फूलों को विविध प्रकार से सजाने कीकलातण्डुल-कुसुमबलिविकार कही जाती है।