तिलवाड़ा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:08, 7 December 2011 by फ़िज़ा (talk | contribs) (श्रेणी:नया पन्ना (को हटा दिया गया हैं।))
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

तिलवाड़ा ऐतिहासिक स्थल यह स्थल राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के बालोतरा तहसील मुख्यालय से सोलह किमी. दक्षिण-पश्चिम में लूनी नदी के बायें किनारे पर स्थित है।

उत्खनन

तिलवाड़ा का उत्खनन कार्य 1967-68 ई. में एन. मिश्रा पूना विजय कुमार राजस्थान राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय था एल.सी. लैसनिक (हिडलबर्ग विश्वविद्यालय) के नेतृत्व में किया गया। इस स्थल से प्राप्त सांस्कृतिक जमाव 60 सेमी. का है। इसकी सतह पर लघुपाषाण उपकरण तथा मृद्पात्रों के ठीकरे मिलते हैं। उत्खनन में यहाँ से फर्श के चारों ओर गोल पत्थर जमाये हुए मिले हैं। तिलवाड़ा से गोल झोंपड़ियों के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। यहाँ से एक 70 सेमी. गहरा एवं 20 सेमी. मुखवाला गड्डा मिला है जो उत्तरोत्तर नीचे की ओर संकरा होता गया है। इस गड्डे में कुछ मृद्पात्रों के टुकड़े व हड्डियाँ तथा राख मिली है। इस स्थल से क्वार्टस क्वार्ट् जाइट, चर्ट एवं कार्नेलियन से बनी हुई क्रोड, ब्लैड ट्रैपीज, प्वाइंट तथा ट्रायंगल इत्यादि उपकरण उपलब्ध हैं। यहाँ से प्राप्त मृद्पात्रों के टुकड़े निःसन्देह चाक निर्मित हैं। यहाँ से कुचली हुई हड्डियाँ मिली हैं। वे निश्चित रूप से बड़े जानवरों की हैं। जिसमें वनमहिष, वृषभ, सूअर आदि मुख्य हैं। पक्षियों का मांस इस काल का मानव बहुत अधिक चाव से खाता था। छोटे-छोटे तीरनुमा उपकरणों की उपस्थिति इसका स्पष्ट संकेत देती है।

उत्तरपाषाण काल राजस्थान में लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व प्रारम्भ होता है। तिलवाड़ा से उत्तरपाषाणयुगीन उपकरण मिले हैं। इस युग में उपकरणों का आकार छोटा और कौशल से भरपूर हो गया था। लकड़ी तथा हड्डी की लम्बी नली में गोंद से चिपकाकर इन उपकरणों का प्रयोग प्रारम्भ हो गया था। राजस्थान के बागोर के अतिरिक्त तिलवाड़ा ही ऐसा क्षेत्र है, जहाँ से इतने वृहद स्तर पर उत्तरपाषाणकालीन पुरासामग्री प्राप्त हुई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः